Instagram से शुरू हुआ प्यार बना जानलेवा धोखा : छत्तीसगढ़ में मां-बेटे की हत्या, प्रेमी और उसके भाई ने रची खौफनाक साजिश

पति के मरने के बाद दूसरी शादी से इनकार, बेटे को बताया जिंदगी का मकसद, लेकिन Instagram पर हुई पहचान ने ले ली जान
Instagram Murder : 22 जून 2024 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के खम्हरिया गांव से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई। 34 वर्षीय सुनीता चतुर्वेदी और उनके आठ वर्षीय बेटे काव्यांश की हत्या कर दी गई। दोनों के शव दो अलग-अलग कुओं से बरामद हुए। यह हत्या उनके प्रेमी और उसके भाई द्वारा शादी के लिए दबाव बनाए जाने के चलते अंजाम दी गई थी।
इस घटना ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया। बूढ़ी दादी की आंखें नाती और बेटी की तस्वीरों से हट नहीं रही हैं। काव्यांश, जो घर की आखिरी उम्मीद था, अब इस दुनिया में नहीं है। वही मां, जिसने हर कठिनाई से लड़कर बेटे की परवरिश की, अब इस दुनिया में नहीं रही। कैसे एक इंस्टाग्राम (Instagram) पर शुरू हुई दोस्ती मौत का सबब बनी, पढ़िए इस रिपोर्ट में:
दूसरी शादी से इंकार, बेटे को ही बना लिया जीवन का आधार
सुनीता रायपुर के ओल्ड राजेन्द्र नगर की रहने वाली थीं। उनके पति का सात साल पहले हार्ट अटैक से निधन हो गया था, जब काव्यांश महज दो महीने का था। परिवार ने कई बार दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन सुनीता ने साफ शब्दों में कह दिया—”मेरी दुनिया अब सिर्फ मेरा बेटा है।”
परिवार ने माना कि वह आत्मनिर्भर और मजबूत महिला थीं। एक स्कूल में शिक्षिका बनकर बेटे की परवरिश और ज़िंदगी को फिर से संवारने लगीं। लेकिन एक दिन इंस्टाग्राम (Instagram) पर आए फ्रेंड रिक्वेस्ट ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
इंस्टा फ्रेंडशिप, दो साल तक झांसे में रखकर बनाया रिश्ता
करीब दो साल पहले सुनीता की पहचान इंस्टाग्राम (Instagram) पर छत्रपाल सिंह सिंगौर नाम के युवक से हुई। दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई, फोन नंबरों का आदान-प्रदान हुआ और जल्द ही रायपुर के महादेव घाट में मुलाकात भी हुई। छत्रपाल ने खुद को अविवाहित बताया और शादी की इच्छा जताई। सुनीता ने भी अपनी सच्चाई बताई कि वह विधवा हैं और एक बेटे की मां हैं।
धीरे-धीरे यह रिश्ता गहराता गया। बातचीत मुलाकातों में बदली और फिर संबंधों में। छत्रपाल हर बार शादी का वादा करता और फिर किसी बहाने से टाल देता। सुनीता को पूरी उम्मीद थी कि उसका बेटा काव्यांश एक दिन छत्रपाल को पिता कहेगा, लेकिन वह गलत साबित हुईं।
दूसरी शादी की जानकारी और एक खतरनाक योजना
करीब डेढ़ महीने पहले सुनीता को पता चला कि छत्रपाल ने गुपचुप तरीके से किसी और से शादी कर ली है। इसके बावजूद सुनीता ने हार नहीं मानी और छत्रपाल से आग्रह करती रही कि वह अपने वादे को निभाए और बेटे को भी अपनाए।
इस दबाव से तंग आकर छत्रपाल ने अपने चचेरे भाई शुभम सिंगौर के साथ मिलकर एक खौफनाक साजिश रच डाली। उन्होंने योजना बनाई कि सुनीता से “हमेशा के लिए छुटकारा” पाना होगा।
18 जून: मौत की ओर ले जाता सफर
18 जून को छत्रपाल बाइक लेकर भाठागांव पहुंचा और सुनीता तथा काव्यांश को यह कहकर साथ ले गया कि गांव में शादी की बात तय करेंगे। सुनीता बेटे के साथ खुशी-खुशी निकल पड़ीं, उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह सफर उनकी ज़िंदगी का आखिरी होगा।

खम्हरिया गांव में हत्या, शव कुओं में फेंके गए
गांव पहुंचने के बाद दोनों भाइयों ने सुनीता को डराने-धमकाने की कोशिश की। जब वह डरी नहीं और प्रतिवाद करने लगीं, तो उन्होंने पहले सुनीता का और फिर मासूम काव्यांश का गला घोंट दिया। इसके बाद शवों को साड़ी में लपेटकर बोरी में भरा गया, पत्थर बांधकर दो अलग-अलग कुओं में फेंक दिया गया।
घटना के दिन सुनीता अपने सारे दस्तावेज, गहने और नकद रकम लेकर घर से निकली थीं। आरोपियों ने कागजात वहीं फेंक दिए, लेकिन गहने और नकद गायब हैं।
हत्या के बाद परिवार को गुमराह करने की कोशिश
हत्या के बाद छत्रपाल ने सुनीता के मोबाइल से उनके भाई को मैसेज भेजा: “भाई, मैं उसी लड़के के साथ हूं जिसे पसंद करती हूं। टेंशन मत लेना, कुछ दिन में आ जाऊंगी।”
लेकिन मैसेज की भाषा ऐसी थी कि परिवार को तुरंत शक हुआ कि यह सुनीता का लिखा नहीं है। इसके बाद घरवाले और परेशान हो गए। छत्रपाल ने सुनीता के इंस्टाग्राम (Instagram) अकाउंट से सभी तस्वीरें हटा दीं और मोबाइल का डेटा मिटा कर फोन पानी में फेंक दिया।

पुलिस की लापरवाही बनी दर्द की वजह
सुनीता के भाई धर्मेश जब सिविल लाइन थाने में गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें 72 घंटे इंतजार करने को कहा। अगले दिन जब वे दोबारा गए, तो पुलिसकर्मियों ने उनसे गुटखा और तंबाकू मंगवाया। उसी दौरान अमलेश्वर थाने से फोन आया कि सुनीता और उनके बेटे की लाशें मिली हैं।

SIT की जांच और गिरफ्तारी
22 जून को गांव के कुओं से दुर्गंध आने पर ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। अमलेश्वर थाने की टीम और फॉरेंसिक विभाग मौके पर पहुंचा। जब शवों को बाहर निकाला गया, तब तक वे गल चुके थे। दुर्ग एसपी विजय अग्रवाल ने तत्काल SIT गठित की। पूछताछ में छत्रपाल ने पहले झूठ बोला लेकिन सख्ती के बाद अपराध कबूल कर लिया।
छत्रपाल सिंह सिंगौर और शुभम सिंगौर को हत्या और सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
काव्यांश: एक मासूम किरण, जो बुझा दी गई
काव्यांश चतुर्वेदी इस परिवार की आखिरी उम्मीद था। उनके दादा दो महीने पहले गुजर चुके थे, और पिता की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। नानी-नाना के घर में उसी के चलते रौनक थी। वही स्कूल जिसमें सुनीता पढ़ाती थीं, काव्यांश भी वहीं पढ़ता था। शांत स्वभाव का बच्चा, जो अक्सर लंच में मां के हाथ का खाना खाता था—अब सिर्फ यादों में रह गया।
यह कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, एक बच्चे की नहीं, बल्कि समाज की उस विडंबना की कहानी है जहां विश्वास, प्रेम और व्यवस्था—तीनों ने साथ छोड़ दिया।
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