झारखंड : नयी नीति के जरिए पहले ही रची जा चुकी थी घोटाले की साजिश! अब ED-CBI की होगी एंट्री
झारखंड आबकारी नीति घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई दोनों की एंट्री संभव है। एसीबी की एफआईआर के आधार पर ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर सकती है, वहीं सीबीआई को भी जांच के लिए सिफारिश भेजी गई है। घोटाले में कई वरिष्ठ अफसरों के डिजिटल सबूत बरामद।
आबकारी घोटाला मामले में 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गये विनय चौबे, वकील ने गिरफ्तारी पर उठाये सवाल

News Desk
Ranchi : झारखंड आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते आईएएस विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एसीबी ने 20 मई को दोनों से लगभग छह घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया था। बुधवार को दोनों अधिकारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया। वर्तमान में दोनों को रांची स्थित होटवार जेल में रखा गया है।
विनय चौबे की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए उनके अधिवक्ता देवेश अजमानी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि गिरफ्तारी पूर्व उचित आधार स्पष्ट नहीं किया गया, जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के अंतर्गत आता है।
पूर्वनियोजित योजना के तहत उत्पाद नीति के जरिए बनी घोटाले की ज़मीन
इधर लगातार डॉट इन नामक समाचार पोर्टल ने रिपोर्ट दी है कि आबकारी नीति के जरिए कथित शराब घोटाले की योजना पहले ही बनाई जा चुकी थी। इस रिपोर्ट को सीनियर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट शकील अहमद ने तैयार किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्पाद नीति का उपयोग कर एक पूर्वनियोजित योजना के तहत घोटाले की ज़मीन तैयार की गई। इसके समर्थन में दो प्रमुख तर्क दिए गए हैं—पहला, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) को नियमों में छूट देकर सलाहकार नियुक्त किया जाना और दूसरा, किसी गड़बड़ी की स्थिति में केवल दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों को उत्तरदायी ठहराने का प्रावधान किया जाना।
CSMCL को नॉमिनेशन के आधार पर कंसल्टेंट बना दिया
वित्तीय नियमावली के तहत सलाहकार की नियुक्ति टेंडर प्रक्रिया से की जानी चाहिए, लेकिन CSMCL को मनोनयन के आधार पर कंसल्टेंट बना दिया गया। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि किसी आपराधिक या अनुचित गतिविधि में उसे दोषी न ठहराया जाए। पहले तो इसे लागू करने के लिए उत्पाद अधिनियम में संशोधन का प्रयास हुआ, लेकिन असफल रहने पर इसके लिए अलग से नियम तैयार कर दिया गया।
बिल में अफसरों को बचाने का प्रावधान जोड़ा था, राजभवन ने लौटाया
झारखंड उत्पाद अधिनियम के तहत गड़बड़ी के मामले में अधिकारी भी जिम्मेदार माने जाते हैं, लेकिन इस संशोधन प्रयास में अफसरों को किसी दंडात्मक कार्रवाई से बचाने का प्रावधान जोड़ा गया था। इसके तहत झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया, जो पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया। परंतु राज्यपाल ने इसमें आपत्तियां जताते हुए विधेयक को वापस लौटा दिया।
राज्यपाल सचिवालय की समीक्षा में यह सामने आया कि झारखंड बेवरेज कॉरपोरेशन के जरिए की जा रही शराब बिक्री में एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसी गड़बड़ी की स्थिति में केवल स्थानीय कर्मियों को दोषी ठहराने का प्रावधान अनुचित माना गया। समीक्षा में कहा गया कि इससे निगम और एजेंसी के उच्च अधिकारियों को कानूनी जिम्मेदारी से बचाया जा रहा है।
CSMCL को कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए अलग से नियम बना
संशोधन विधेयक की धारा 57 में दंड के जिस प्रावधान का उल्लेख है, उसमें निगम के अधिकारियों को सीधे तौर पर बाहर रखा गया है। राज्यपाल द्वारा विधेयक पर सहमति नहीं दिए जाने के कारण इसका राजपत्र में प्रकाशन नहीं हो सका। इसके बाद सरकार ने अलग से नियम बनाकर CSMCL को कंसल्टेंट नियुक्त करने का निर्णय लिया, जिसमें यह शर्त जोड़ी गई कि किसी भी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
ईडी दर्ज कर सकती है मनी लॉन्ड्रिंग का मामला, सीबीआई भी जांच के दायरे में
झारखंड आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय हो सकती है। राज्य एसीबी द्वारा 20 मई 2025 को दर्ज की गई प्राथमिकी को आधार बनाकर ईडी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ईसीआईआर (ईनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज कर सकती है।
इससे पहले भी ईडी ने छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की प्राथमिकी पर इसी तरह कार्रवाई की थी। उसी तर्ज पर अब झारखंड में भी ईडी अपनी स्वतंत्र जांच शुरू कर सकती है।झारखंड आबकारी घोटाले की जांच के क्रम में ईडी ने पूर्व में आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और तत्कालीन संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान अधिकारियों के आईफोन सहित कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए थे। साथ ही, उनके परिसरों से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए थे, जिनकी तकनीकी जांच अभी जारी है।
सीबीआई भी शुरू कर सकती है जांच, ईओडब्ल्यू ने की थी सिफारिश
इधर, इस पूरे मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की भी एंट्री संभावित है। छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा ने इस शराब नीति घोटाले की जांच के लिए सीबीआई से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया है। ईओडब्ल्यू द्वारा इस अनुरोध के साथ संबंधित केस फाइलें और दस्तावेज सीबीआई मुख्यालय को भेज दिए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, झारखंड में आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच अब केंद्रीय एजेंसियों के स्तर पर की जाएगी, और इसके लिए सीबीआई द्वारा प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी गई है।
