ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत, सर्वदलीय सांसद डेलिगेशन विदेश भेजेगा

डेलीगेशन में थरूर को चुने जाने पर विवाद | कांग्रेस बोली : पार्टी ने उनका नाम नहीं लिया

New Delhi : भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पक्ष रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार 7 सर्वदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडल (डेलिगेशन) को विभिन्न देशों के दौरे पर भेज रही है। इन टीमों में सत्ता और विपक्ष दोनों के करीब 40 सांसद शामिल होंगे। यह डेलिगेशन खासतौर पर उन देशों का दौरा करेगा जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी और अस्थायी सदस्य हैं।

इस कवायद का उद्देश्य दुनिया को यह बताना है कि पाकिस्तान की सरजमीं से संचालित आतंकवादी नेटवर्क कैसे भारत और वैश्विक शांति के लिए खतरा हैं।


🔹 शशि थरूर को लेकर कांग्रेस और केंद्र आमने-सामने

इस डेलिगेशन में कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर का नाम सबसे प्रमुख है, जिन्हें एक टीम का नेतृत्व सौंपा गया है। हालांकि, कांग्रेस ने साफ किया है कि उसने थरूर का नाम सरकार को नहीं भेजा था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि पार्टी ने जिन चार सांसदों के नाम सुझाए, उनमें थरूर शामिल नहीं थे। इन नामों में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार शामिल हैं।

जयराम रमेश के अनुसार, यह नाम 16 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को भेजे गए थे।


🔹 थरूर बोले – “राष्ट्रीय हित में सेवा को तैयार”

डॉ. शशि थरूर ने सरकार की ओर से डेलिगेशन का नेतृत्व सौंपे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा –

“मैं हाल की घटनाओं पर भारत का दृष्टिकोण दुनिया के पांच प्रमुख देशों में रखने के लिए भारत सरकार के विश्वास से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब भी राष्ट्रीय हित में मेरी सेवा की आवश्यकता होगी, मैं पीछे नहीं हटूंगा।”

गौरतलब है कि हाल ही में थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए इसे “दुनिया को पाकिस्तान के लिए सख्त संदेश” करार दिया था।


🔹 कांग्रेस में थरूर की टिप्पणी पर असंतोष

हालांकि, थरूर की सरकार के समर्थन वाली टिप्पणियों पर कांग्रेस में नाराजगी भी देखने को मिली है। 14 मई को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई। उनका मानना है कि इस संवेदनशील समय में पार्टी लाइन से हटकर निजी राय देना उचित नहीं था। एक वरिष्ठ नेता ने यहां तक कह दिया कि “थरूर ने लक्ष्मण रेखा पार कर ली है।”


🔹 किन सांसदों को मिली डेलिगेशन की जिम्मेदारी?

संसदीय कार्य मंत्रालय ने 7 डेलिगेशन का नेतृत्व करने वाले सांसदों के नाम जारी किए हैं:

  • शशि थरूर (कांग्रेस)
  • रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
  • बैजयंत पांडा (भाजपा)
  • संजय कुमार झा (जदयू)
  • कनिमोझी करुणानिधि (DMK)
  • सुप्रिया सुले (NCP – शरद पवार गुट)
  • श्रीकांत शिंदे (शिवसेना – शिंदे गुट)

इन डेलिगेशन के 23 या 24 मई को रवाना होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, वे अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का दौरा करेंगे।


🔹 ओवैसी का बयान – पाकिस्तान मानवता के लिए खतरा

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान मानवता के लिए खतरा बन चुका है।

“पाकिस्तान आतंकियों को प्रशिक्षण, फंडिंग और हथियार देकर भारत को अस्थिर करना चाहता है। मैं डेलिगेशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी असलियत उजागर करूंगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत के 20 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज करते हैं।


🔹 पिछली सरकारों का अनुभव भी रहा है ऐसा

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी नेताओं की मदद ली हो।

  • 1994 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में डेलिगेशन को जिनेवा में UNHRC भेजा था।
  • 2008 में मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने पाकिस्तान के आतंकी लिंक उजागर करने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं को विदेश भेजा था, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव बना और पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में आया।

🔹 क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत हुई थी। इसके बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। सेना ने 100 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच 10 मई को सीज़फायर पर सहमति बनी।

ऑपरेशन सिंदूर’ अब केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा बन चुका है। सर्वदलीय सांसदों का विदेश दौरा भारत की एकजुटता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह पहल आने वाले समय में भारत की छवि को और सशक्त बना सकती है।