अब BJP को कोड़ा में दिखने लगा मधु : कभी भ्रष्टाचार का पोस्टर ब्वॉय कहती थी, आज पोस्टरों में लगी है तसवीर
पूर्व CM मधु कोड़ा BJP के पोस्टर पर लौटे। घोटालों, जेल और निष्कासन के बाद अब पार्टी में ‘घर वापसी’। क्या ये रणनीति है या सियासी मजबूरी?

अब BJP कैसे देगी सफाई – जिस मधु कोड़ा को भ्रष्टाचार का चेहरा बताया, उसे पोस्टर पर क्यों लायी?
BJP Madhu Koda News : मधु कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राज्य की राजनीति में वे एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने बतौर निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचा था। हालांकि यह इतिहास बहुत देर तक गौरवशाली नहीं रहा। कोयला घोटाले में दोषसिद्ध होने के कारण उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दे दिया गया। इसके बाद सक्रिय राजनीति से भले ही उनकी भूमिका सीमित हो गई हो, लेकिन उनकी पत्नी गीता कोड़ा के माध्यम से उनका राजनीतिक दखल कायम रहा।
2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गीता कोड़ा भाजपा (BJP) में शामिल हुईं, और विधानसभा चुनाव के पहले मधु कोड़ा स्वयं भी भाजपा में शामिल हो गए। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कोड़ा एक बार फिर उसी पार्टी में लौटे, जहां से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। दरअसल, कोड़ा पहले भी भाजपा (BJP) में ही थे, लेकिन उस दौर के संगठन मंत्री से मतभेद के चलते उनका टिकट कट गया था। इसके बावजूद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की और अर्जुन मुंडा सरकार को समर्थन देकर मंत्री पद भी प्राप्त किया।
कोड़ा और मुंडा के रिश्तों में खटास एक सड़क निर्माण प्रोजेक्ट को लेकर आई, जिसे लेकर ठेकेदारों के हित टकराए। इसी मुद्दे पर विधानसभा सत्र के दौरान दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई। इसके बाद कोड़ा कुछ समय के लिए “लापता” हो गए और जब वे पुनः सार्वजनिक जीवन में लौटे तो सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे नज़र आए। उस समय कांग्रेस, झामुमो और अन्य निर्दलीय विधायकों—जैसे कमलेश सिंह, बंधू तिर्की, भानु प्रताप शाही, एनोस एक्का और हरिनारायण राय—के समर्थन से उन्होंने सरकार बनाई।
उनकी सरकार को बाद में व्यापक भ्रष्टाचार के कारण “लूट राज” कहा गया। कोयला घोटाले, लौह अयस्क आवंटन में गड़बड़ी, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, दवा घोटाला—जैसे अनेक गंभीर आरोप कोड़ा और उनके सहयोगी मंत्रियों पर लगे। इनमें से कई निर्दलीय मंत्रियों को जेल की सजा भी हुई। मधु कोड़ा स्वयं भी रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद रहे और कथित रूप से वहां उन्हें मारपीट का सामना भी करना पड़ा।

इसी दौरान गीता कोड़ा भी राजनीति में सक्रिय हुईं और विधायक से लेकर सांसद तक बनीं। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP प्रत्याशी बनने के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव में भी वे पराजित रहीं। दूसरी ओर, मधु कोड़ा भाजपा में तो आ गए, लेकिन उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। हालांकि वे लगातार BJP के कार्यक्रमों में पत्नी के साथ मंच पर दिखते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मौजूदगी ने चर्चाओं को जन्म दिया, लेकिन भाजपा ने उस समय बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि कोड़ा अब तक पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं।
बीजेपी (BJP) के पोस्टरों और चुनावी कैंपेन में कोड़ा को पूरी तरह दरकिनार रखा गया। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि परिस्थितियां बदल रही हैं। पहली बार भाजपा ने मधु कोड़ा को अपने आधिकारिक पोस्टर में स्थान दिया है। यह पोस्टर 24 जून को राज्य भर में आयोजित “आक्रोश प्रदर्शन” के सिलसिले में जारी किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य की कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-जागरण करना था।
इस पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और अर्जुन मुंडा के साथ-साथ पहली बार मधु कोड़ा का चेहरा भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया।
इस घटनाक्रम को भाजपा के बदले हुए रणनीतिक नजरिये के रूप में देखा जा सकता है। बाबूलाल मरांडी, जो खुद ‘जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन’ की नीति के पक्षधर माने जाते हैं, ने लंबे समय तक कोड़ा को पार्टी से दूर रखा था। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद मरांडी और कोड़ा के बीच रिश्तों में नरमी देखी गई और संभवतः उसी के परिणामस्वरूप यह पोस्टर-प्रस्तुति संभव हुई है।
इस समय झारखंड BJP एक गहरे आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है। 2024 में खराब चुनावी प्रदर्शन के बाद संगठन को पुनर्गठित करने की कोशिशें तेज हैं। रघुवर दास राज्यपाल का पद त्याग कर फिर से सक्रिय राजनीति में लौटे हैं, अर्जुन मुंडा को लोकसभा में मिली हार से उबरना है, और बाबूलाल मरांडी दोहरी जिम्मेदारी—विपक्ष के नेता और प्रदेश अध्यक्ष—का निर्वहन कर रहे हैं।
इन तमाम गतिविधियों के बीच मधु कोड़ा को पार्टी की मुख्यधारा में लाना न केवल एक रणनीतिक प्रयोग प्रतीत होता है, बल्कि यह विरोधियों को भी भाजपा पर हमले का एक नया अवसर देता है। कोड़ा को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानने वाले विपक्षी अब भाजपा की “नीतियों” और “नैतिकता” पर सवाल उठा रहे हैं।
मधु कोड़ा की सियासी यात्रा एक संपूर्ण वृत्त की तरह लगती है—जिसमें वे शुरू में BJP में थे, फिर उससे अलग होकर सत्ता तक पहुंचे, भ्रष्टाचार में घिरे, जेल गए, और अब भाजपा के पोस्टर पर वापसी कर रहे हैं। यह वापसी क्या उनके लिए नई शुरुआत होगी या भाजपा के लिए एक नई दुविधा—यह आने वाला वक्त बताएगा।
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