Jharkhand : पोटका के निजी आवासीय स्कूल में सो रहे थे 162 बच्चे, तभी घुस गया नदी का पानी, आफत में पड़ गयी जान, देखें VIDEO
Jharkhand के कई जिलों में भारी बारिश के चलते नदियां उफनी, निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात

Jharkhand Flood : जमशेदपुर के पोटका प्रखंड में भारी बारिश से गुड़रा नदी उफान पर आ गई, जिससे नदी किनारे स्थित लव कुश आवासीय विद्यालय में बाढ़ का पानी घुस गया। 162 बच्चे छत पर चढ़कर 5 घंटे तक फंसे रहे, बाद में ग्रामीणों और प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित रेस्क्यू किया।
बाढ़ में फंसे बच्चे, छत बनी शरणस्थली
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत पांड्राशोली गांव स्थित लव कुश आवासीय विद्यालय में गुरुवार की रात एक बड़ी त्रासदी होते-होते टल गई। लगातार हो रही मूसलधार बारिश से पास बहने वाली गुड़रा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और भोर के करीब 4 बजे विद्यालय के निचले हिस्से में पानी घुस गया।
विद्यालय में उस समय 122 छात्र, 40 छात्राएं और 7 स्टाफ सदस्य उपस्थित थे। जब पानी की तेज आवाज से बच्चे जागे, तब तक निचले कमरे पूरी तरह जलमग्न हो चुके थे। स्थिति को भांपते हुए संचालक सुशांत महतो और कर्मचारियों ने सभी बच्चों को एस्बेस्टस की छतों पर चढ़ा दिया, जहां बच्चे अगले 5 घंटे तक बारिश में भीगते हुए जान बचाने के लिए टिके रहे।
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गांववालों की तत्परता से बची जान
सुबह होते ही ग्रामीणों को जैसे ही जानकारी मिली, उन्होंने तत्परता दिखाते हुए रस्सियों और लकड़ी की बल्लियों के सहारे बच्चों को बाहर निकालना शुरू किया। इस पूरे रेस्क्यू में ग्रामीणों ने ही प्रमुख भूमिका निभाई और एक-एक कर 162 बच्चों और स्टाफ को सुरक्षित निकाल कर परिजनों को सौंप दिया।
गनीमत यह रही कि कोई जानमाल की हानि नहीं हुई। प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर सभी बच्चों की स्वास्थ्य जांच करवाई और उन्हें घर भेज दिया गया।
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प्रशासन सक्रिय, लेकिन चेतावनी स्पष्ट
सूचना मिलते ही पोटका एलआरडीसी गौतम कुमार, बीडीओ अरुण मुंडा, थाना प्रभारी धनंजय पासवान, मुखिया सरस्वती मुर्मू, एमओआईसी डॉ रजनी महाकुड़ समेत कई पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला।
प्रशासन ने विद्यालय को तत्काल बंद करने का आदेश दे दिया है। एलआरडीसी ने स्पष्ट कहा कि यह विद्यालय नदी के बेहद पास स्थित है और ऐसे स्थान पर आवासीय स्कूल चलाना सुरक्षा की दृष्टि से अनुचित है। अब विद्यालय की वैधता की भी जांच होगी।

इस घटना ने प्रशासनिक अनदेखी को भी उजागर कर दिया है। यह विद्यालय एक प्राइवेट संस्था के रूप में चल रहा था लेकिन बाढ़ क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद किसी भी प्रकार की आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली या निकासी व्यवस्था नहीं थी।
बगैर पर्याप्त सुरक्षा मानकों के ऐसे स्कूलों का संचालन बच्चों की जान से खिलवाड़ है। अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ने कभी इस विद्यालय का निरीक्षण किया था?
जलवायु संकट और कमजोर बुनियादी ढांचा
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि झारखंड जैसे राज्य में जलवायु परिवर्तन और भारी वर्षा के दौर में आपदा प्रबंधन को लेकर स्थानीय संरचनाएं बेहद कमजोर हैं। नदियों के किनारे बसे गांवों और स्कूलों को लेकर पूर्व चेतावनी प्रणाली, सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरण योजना और बचाव दलों की तैयारी अपर्याप्त है।
राज्यभर में भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने 2 जुलाई तक झारखंड के कई हिस्सों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। जमशेदपुर, पोटका, घाटशिला जैसे निचले और नदी किनारे के इलाके जलभराव और बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं।
आपदा में सतर्कता से बची 162 ज़िंदगियां
यदि ग्रामीण समय पर नहीं पहुंचते या प्रशासन की प्रतिक्रिया थोड़ी देर से होती, तो यह घटना भीषण त्रासदी में बदल सकती थी। यह घटना जहां एक ओर मानवता और सामाजिक एकजुटता की मिसाल है, वहीं दूसरी ओर यह एक चेतावनी भी है कि झारखंड में बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के नाम पर चल रहे अनियमित संस्थानों की सख्त निगरानी जरूरी है।
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