झारखंड में उपचुनावों का इतिहास : 23 चुनावों में भाजपा केवल 3 बार जीती, अब घाटशिला में परीक्षा
झारखंड में अब तक 23 उपचुनाव हो चुके हैं। झामुमो और कांग्रेस ने लगातार बढ़त बनाई, जबकि भाजपा 2016 के बाद से कोई उपचुनाव नहीं जीत पाई। घाटशिला उपचुनाव 2025 भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।
अब तक हुए 23 उपचुनावों में झामुमो ने 10, कांग्रेस ने 5 और भाजपा ने केवल 3 सीटें जीती हैं।

आनंद कुमार
15 नवंबर 2000 को देश का 28वां राज्य बना झारखंड, और वहीं विधानसभा में हुए पहले उपचुनाव से लेकर अब तक उपचुनावों का सिलसिला कभी थमा नहीं। कुल 23 उपचुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 10, कांग्रेस ने 5 और भाजपा ने केवल 3 बार जीत का स्वाद चखा। बल्कि, भाजपा का उपचुनाव जीत का खाता 2016 के बाद से बंद पड़ा है। आगामी 11 नवंबर को घाटशिला का चुनाव 25 साल के होने जा रहे झारखंड का 24वां उपचुनाव होगा। पिछले सात उपचुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा के सामने अपनी चुनावी किस्मत बदलने और जीत का खाता खोलने की चुनौती है।
झारखंड बना, और शुरू हुआ उपचुनावों का सिलसिला
15 नवंबर 2000 को देश का 28वां राज्य बना झारखंड।
नए राज्य के गठन के साथ ही विधानसभा की राजनीति में उपचुनावों की शुरुआत हुई — और यह सिलसिला आज तक जारी है।
अब तक झारखंड में 23 उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने जीते — 10
- कांग्रेस (INC) ने जीते — 5
- भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीते — 3
यानी भाजपा के हिस्से में उपचुनावों की जीत बहुत कम रही। सबसे अहम तथ्य यह है कि 2016 के बाद से भाजपा किसी भी उपचुनाव में जीत नहीं दर्ज कर पाई है।
अब 11 नवंबर 2025 को होने जा रहा घाटशिला उपचुनाव झारखंड के इतिहास का 24वां उपचुनाव होगा।
यह भाजपा के लिए एक बड़ा इम्तिहान है — क्या बाबूलाल सोरेन जीतकर भाजपा का सूखा खत्म करेंगे,
या हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन 8-0 का स्कोर बनाए रखेगा — इसका फैसला 14 नवंबर की मतगणना में होगा।
पहला उपचुनाव: जब मुख्यमंत्री बने बाबूलाल मरांडी
झारखंड बनने के कुछ ही महीनों बाद, फरवरी 2001 में पहला उपचुनाव हुआ —
रामगढ़ विधानसभा सीट पर।
यह सीट खाली थी क्योंकि सीपीआई विधायक शब्बर हुसैन उर्फ भेड़ा सिंह का निधन हो गया था।
तब झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को विधानसभा सदस्य बनने की संवैधानिक बाध्यता थी।
उन्होंने इस उपचुनाव में लगभग 20,000 वोटों से जीत हासिल की और झारखंड विधानसभा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
इसी कार्यकाल में एक और उपचुनाव हुआ —
पोड़ैयाहाट सीट पर, जहां भाजपा विधायक प्रदीप यादव सांसद बन गए थे।
यह सीट भाजपा के हाथ से निकलकर झामुमो के प्रशांत कुमार मंडल ने जीत ली।
2005-2009: चार उपचुनाव, बड़े राजनीतिक उलटफेर
2005 में झारखंड की दूसरी विधानसभा गठित हुई और इस कार्यकाल में चार उपचुनाव हुए।
- डालटनगंज में — विधानसभाध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने जदयू से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते।
- सिमरिया में — भाजपा विधायक उपेंद्र नाथ दास के निधन के बाद उपचुनाव में उनके पुत्र उज्ज्वल दास को हार मिली; सीपीआई के रामचंद्र राम ने जीत दर्ज की।
- तमाड़ सीट पर — जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद उपचुनाव हुए। मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने यहां से चुनाव लड़ा, लेकिन राजा पीटर ने उन्हें हराकर सनसनी मचा दी।
- जामताड़ा में — भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद भैया ने शिबू सोरेन के लिए सीट छोड़ी, सोरेन जीते भी, लेकिन विधानसभा निलंबित हो चुकी थी।
2009-2014: तीन उपचुनाव, सत्ता का संतुलन
तीसरी विधानसभा (2009–2014) के दौरान तीन उपचुनाव हुए —
- फरवरी 2011, खरसावां: मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने जीत दर्ज की।
- 12 जून 2012, हटिया: आजसू के नवीन जायसवाल विजयी हुए।
- 30 नवंबर 2012, मांडू: जेएमएम के जय प्रकाश भाई पटेल ने पिता टेकलाल महतो के निधन के बाद जीत दर्ज की।
2014-2019: रघुवर सरकार के दौरान सात उपचुनाव
झारखंड में पहली बार पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनी।
रघुवर दास मुख्यमंत्री थे और यह कार्यकाल सबसे अधिक 7 उपचुनावों के लिए जाना गया।
- लोहरदगा (2016): कांग्रेस के सुखदेव भगत ने आजसू उम्मीदवार नीरू शांति भगत को हराया।
- गोड्डा (2016): भाजपा के अमित मंडल ने अपने पिता रघुनंदन मंडल की मृत्यु के बाद जीत दर्ज की।
- लिट्टीपाड़ा (2017): कांग्रेस के देवेंद्र बिट्टू सिंह विजयी रहे।
- पाकुड़/सिल्ली/गोमिया (2018): झामुमो की सीमा देवी (सिल्ली) और बबीता देवी (गोमिया) ने जीत दर्ज की।
- कोलेबिरा (2018): कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगाड़ी ने उपचुनाव जीता।
इस दौर में भाजपा को सीमित सफलता मिली, जबकि कांग्रेस और झामुमो ने लगातार बढ़त बनाई।
2019 से अब तक: हेमंत सरकार के दौर के सात उपचुनाव
2019 में बनी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के दौरान अब तक सात उपचुनाव हुए —
| वर्ष | सीट | कारण | विजेता | दल |
|---|---|---|---|---|
| 2020 | दुमका | हेमंत सोरेन ने सीट छोड़ी | बसंत सोरेन | झामुमो |
| 2020 | बेरमो | राजेंद्र सिंह का निधन | कुमार जयमंगल | कांग्रेस |
| 2021 | मधुपुर | हाजी हुसैन अंसारी का निधन | हफीजुल हसन | झामुमो |
| 2022 | मांडर | बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द | शिल्पी नेहा तिर्की | कांग्रेस |
| 2023 | रामगढ़ | ममता देवी की सदस्यता रद्द | सुनीता चौधरी | आजसू-एनडीए |
| 2023 | डुमरी | जगरनाथ महतो का निधन | बेबी देवी | झामुमो |
| 2024 | गांडेय | सरफराज अहमद का इस्तीफा | कल्पना सोरेन | झामुमो |
इन सात उपचुनावों में भाजपा को एक भी जीत नहीं मिली।
गांडेय से कल्पना सोरेन की जीत ने झामुमो के दबदबे को और पुख्ता किया।
अब घाटशिला: भाजपा के लिए ‘अग्निपरीक्षा’
घाटशिला उपचुनाव 11 नवंबर 2025 को होना है।
यह झारखंड का 24वां उपचुनाव होगा।
यहां मुकाबला है —
- झामुमो प्रत्याशी सोमेश सोरेन (दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र)
- भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र)
प्रश्न वही पुराना है — क्या भाजपा हार का यह सिलसिला तोड़ पाएगी?
या हेमंत सोरेन के गठबंधन की गाड़ी एक बार फिर रफ्तार से निकलेगी?
25 साल के झारखंड में 23 उपचुनाव, लेकिन भाजपा अब भी ‘जीत की खोज’ में
पिछले 24 वर्षों में झारखंड ने 23 उपचुनाव देखे हैं।
झामुमो और कांग्रेस ने इन चुनावों में लगातार अपना प्रभाव बढ़ाया है, जबकि भाजपा को अब तक कोई स्थायी बढ़त नहीं मिल पाई है।
घाटशिला उपचुनाव 2025 न केवल एक सीट का मुकाबला है, बल्कि भाजपा के लिए राजनीतिक मनोबल और संगठनात्मक अस्तित्व की परीक्षा भी है।
