झारखंड विधानसभा का Monsoon Session 1 अगस्त से : सियासी घमासान के लिए तैयार पक्ष-विपक्ष
झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) 1 अगस्त से शुरू हो रहा है। जानें सत्तापक्ष और विपक्ष किन मुद्दों पर आमने-सामने हैं। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

Monsoon Session में विश्वविद्यालय विधेयक, 2025कई विधेयकों और प्रस्तावों पर होगी चर्चा
रांची, 29 जुलाई: झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) 1 अगस्त से शुरू होकर 7 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 5 कार्य दिवस निर्धारित हैं। इस अल्पावधि सत्र को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने अपनी रणनीतिक तैयारी तेज कर दी है। जहां विपक्ष कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और मंइयां सम्मान योजना जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है, वहीं सत्तारूढ़ महागठबंधन केंद्र सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लेने के लिए मोर्चाबंद हो रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 31 जुलाई को रांची लौटेंगे
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वर्तमान में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अपने पिता शिबू सोरेन के इलाज के सिलसिले में रुके हुए हैं। हालांकि, वे दिल्ली स्थित झारखंड भवन से ही राज्य की प्रशासनिक निगरानी कर रहे हैं। सीएम नियमित तौर पर मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठकों के माध्यम से राज्य के विभिन्न मसलों और आगामी कार्यक्रमों की तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं।
सीएम ने दिल्ली में ही मॉनसून सत्र (Monsoon Session) से जुड़े आवश्यक विधेयकों की कॉपियां मंगाकर उनकी समीक्षा और मंजूरी भी दी है। वे 31 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के देवघर आगमन पर स्वागत समारोह में भी शामिल होंगे और इसके अगले दिन धनबाद का दौरा कर सकते हैं।
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31 जुलाई को सर्वदलीय बैठक और सत्ता पक्ष की रणनीति बैठक
मॉनसून सत्र को लेकर स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने 31 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें सभी दलों के विधायक दल के नेता, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर शामिल होंगे। इसका उद्देश्य मॉनसून सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी पक्षों से सहयोग प्राप्त करना है।
इसी दिन:
- 3 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी।
- 5 बजे एटीआई भवन में सत्ता पक्ष (झामुमो, कांग्रेस, राजद, माले) की संयुक्त रणनीति बैठक होगी, जिसमें सदन में विपक्ष के सवालों का संयुक्त जवाब देने की रणनीति पर चर्चा होगी।
वहीं विपक्षी भाजपा ने भी एक अगस्त को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार के खिलाफ आक्रामक रणनीति तय की जायेगी।
क्या-क्या होगा मॉनसून सत्र में
इस सत्र में “झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025” पेश किया जाएगा, जिसके तहत राज्य में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए झारखंड राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (JSUC) की स्थापना की जाएगी। दूसरा महत्वपूर्ण विधेयक “झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2025” है, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण, पंजीकरण और एक समर्पित बोर्ड की व्यवस्था करेगा। आर्थिक मामलों में पहला अनुपूरक बजट (2025-26) प्रस्तुत किया जाएगा और उस पर चर्चा कर उसे पारित किया जाएगा। इसके अलावा राज्य में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने, पुलिस संसाधनों को मजबूत करने और विभिन्न विभागीय योजनाओं को गति देने हेतु पूरक बजटीय प्रावधान भी प्रस्तावित हैं।
| कार्य | विवरण |
|---|---|
| खुलने का दिन – 1 अगस्त | शपथ, घोषणाएँ, शोक प्रकाश |
| अनुपूरक बजट – 4–5 अगस्त | प्रस्तुत (4), बहस व पारित (5) |
| विधेयक चर्चा – 6–7 अगस्त | मुख्य विधेयक व अन्य एजेंडा |
| प्रमुख विधेयक | झारखंड स्टेट यूनिवर्सिटी बिल, गिग वर्कर्स बिल |
विपक्ष के प्रमुख मुद्दे: कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और योजनाओं की विफलता
भाजपा ने मॉनसून सत्र से पहले ही मुख्य सचेतकों की नियुक्ति कर ली है और विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार को घेरने की योजना तैयार है। भाजपा नेता नवीन जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि:
- राज्य में विधि व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, राजधानी रांची तक सुरक्षित नहीं है।
- रोजगार के नाम पर युवाओं को धोखा दिया गया है, परीक्षाएं या तो स्थगित हो रही हैं या विवादों में घिर रही हैं।
- मंइयां सम्मान योजना में लाखों महिलाओं को बाहर किया गया, नये नाम नहीं जोड़े जा रहे।
विपक्ष राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं, एसएससी और सीजीएल जैसी परीक्षाओं में हो रही अनियमितताओं, और योजनाओं के लाभार्थी चयन में हो रही धांधली को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करेगा।
सत्तापक्ष की रणनीति: केंद्र की नीतियों पर जवाबी हमला
महागठबंधन के नेता और कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने स्पष्ट किया कि गठबंधन केंद्र सरकार की नीतियों को विधानसभा में प्रमुखता से उठायेगा:
- बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को वोट अधिकार पर हमला बताया गया है। यह मुद्दा झारखंड में भी उठाया जाएगा।
- 50% आरक्षण की सीमा को तोड़ने के मुद्दे पर केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठेंगे।
- सरना धर्म कोड और जातीय जनगणना में आदिवासियों की पहचान के सवाल को दोबारा केंद्र के सामने लाने की तैयारी है।
सत्तापक्ष ने अपने सभी मंत्रियों को निर्देशित किया है कि वे अपने विभाग की उपलब्धियों के तथ्यात्मक विवरण के साथ तैयार रहें, ताकि विपक्ष के हमलों का डेटा आधारित जवाब दिया जा सके।
संभावित टकराव के मुद्दे:
| मुद्दा | विपक्ष का रुख | सत्तापक्ष की रणनीति |
|---|---|---|
| कानून व्यवस्था | राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाएं | अपराधों पर नियंत्रण के लिए सरकार के प्रयास |
| रोजगार | परीक्षा प्रणाली में गड़बड़ी, देरी | नई नियुक्तियों की प्रक्रिया और योजनाएं |
| मंइयां सम्मान योजना | लाभार्थियों को बाहर करने का आरोप | योजना की विस्तार और पारदर्शिता की बात |
| एसआईआर विवाद | मतदाता अधिकारों पर हमला | केंद्र सरकार की आलोचना |
| जातीय जनगणना व सरना कोड | केंद्र की चुप्पी की आलोचना | प्रस्ताव फिर भेजने की तैयारी |
झारखंड विधानसभा का यह मॉनसून सत्र सिर्फ कानून बनाने का मंच नहीं रहेगा, बल्कि यह राजनीतिक रणनीतियों, आरोप-प्रत्यारोप और नीतिगत बहसों का अखाड़ा बनने वाला है। एक तरफ सरकार अपनी योजनाओं और उपलब्धियों को बचाव की मुद्रा में पेश करेगी, वहीं विपक्ष जनहित और शासन की विफलताओं को उजागर करने का कोई मौका नहीं चूकेगा। झारखंड की जनता के लिए यह सत्र अहम होगा, जहां उनके मुद्दों पर खुली बहस की उम्मीद की जा रही है।
