Ghatshila Bypoll : भाजपा ने उतारे बिन दूल्हे के बाराती : 40 स्टार प्रचारक घोषित, प्रत्याशी अभी भी रहस्य
Ghatshila Bypoll : भाजपा ने घाटशिला उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, जबकि उम्मीदवार का नाम अब तक घोषित नहीं हुआ है। दूल्हा कौन होगा?
Ghatshila Bypoll : रामदास सोरेन के बेटे सोमेश ने खरीदा पर्चा, लेकिन अभी जेएमएम ने टिकट की नहीं की घोषणा

Jamshedpur : घाटशिला विधानसभा उपचुनाव (Ghatshila Bypoll) में प्रत्याशियों की घोषणा भले नहीं हुई है, लेकिन भाजपा ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। यानी दूल्हा तय नहीं है, लेकिन बाराती फाइनल हो गए हैं। सही कहा जाए तो दूल्हा तो खुद को पहले ही “सेल्फ डिक्लेयर्ड” कर चुका है।
पिछले एक महीने से जिस तरह बाबूलाल सोरेन और उनके पिता, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, घाटशिला के हर गांव-टोले में सक्रिय हैं, उससे यह साफ है कि उन्होंने खुद को प्रत्याशी घोषित कर ही दिया है — और भाजपा ने भी इसे tacitly स्वीकार कर लिया है।
🔸 दूल्हा तय, बाराती फाइनल
घाटशिला के टाउन हॉल में हुए बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। कई दावेदारों की उपस्थिति के बावजूद केवल बाबूलाल सोरेन ही अग्रिम पंक्ति में प्रदेश नेताओं के साथ बैठे थे। नेताओं ने भले भाषणों में उनका नाम उम्मीदवार के रूप में न लिया हो, लेकिन संदेश साफ चला गया — दूल्हा तय है।
अब जब दूल्हा तय है, तो भाजपा के पास बाराती फाइनल करने के अलावा कुछ बचा भी नहीं था। पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है।
🔵 घाटशिला उपचुनाव 2025 — इलेक्शन डेट्स 🔵
📅 अधिसूचना: 13 अक्टूबर
🗓️ नामांकन की आख़िरी तारीख़: 21 अक्टूबर
🔍 नामांकन जांच: 22 अक्टूबर
✏️ वापसी की अंतिम तिथि: 24 अक्टूबर
🗳️ मतदान: 11 नवंबर (मंगलवार)
📊 मतगणना: 14 नवंबर (शुक्रवार)
🔸 कौन-कौन हैं बाराती
भावी उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन के पिता चंपाई सोरेन खुद पूर्व मुख्यमंत्री हैं और एक महीने से बेटे की जीत सुनिश्चित करने में जुटे हैं। सूची में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जुएल उरांव, अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ शामिल हैं।
शिवराज सिंह चौहान पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के चुनाव प्रभारी थे, लेकिन पार्टी को सिर्फ 21 सीटें ही मिल सकी थीं।
इसके अलावा ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को भी प्रचारक बनाया गया है। राज्य स्तर पर बाबूलाल मरांडी, आदित्य साहू, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और रघुवर दास भी मोर्चा संभालेंगे।
भाजपा की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि घाटशिला उपचुनाव को जीतने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
🔸 अंदरखाने उठते सवाल
पार्टी के भीतर दबी जुबान में यह चर्चा भी है कि चंपाई सोरेन “जेएमएम कल्चर” लेकर भाजपा में आए हैं। भाजपा में कभी ऐसा नहीं होता था कि टिकट की घोषणा से पहले कोई खुद को प्रत्याशी घोषित कर दे। पहले पार्टी ऐसे मामलों में सख्ती दिखाती थी, पर अब वह परंपरा टूटती दिख रही है।
पार्टी की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं। परिवारवाद के विरोध की बात करने वाली भाजपा ने पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्रियों की पत्नी, बेटे और बहू को टिकट देकर अपनी छवि पर दाग लगाया था। उनमें से केवल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू ही जीत पाईं — वह भी इसलिए क्योंकि जमशेदपुर पूर्वी सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित मानी जाती है।

🔸 घाटशिला और पोटका का समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बाबूलाल सोरेन को पोटका से और मीरा मुंडा को घाटशिला से उतारा जाता, तो तस्वीर अलग हो सकती थी। पोटका में चंपाई-बाबूलाल की पकड़ मजबूत है, जबकि घाटशिला में अर्जुन मुंडा का असर है।
2014 में अर्जुन मुंडा ने घाटशिला से लक्ष्मण टुडू को जिताया था, जो पहले दो बार सरायकेला से हार चुके थे।
🔸 अनुपस्थित चेहरा — हिमंता बिस्वा सरमा
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के सह-प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा सबसे प्रमुख चेहरा थे। रणनीति से लेकर बयानबाजी तक, सब कुछ उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता था। इस बार वे नदारद हैं — शायद झारखंड का चुनावी अनुभव उन्हें पसंद नहीं आया।
🔸 अब जेएमएम की बारी
इधर झामुमो में भी असमंजस जारी है। सोमेश, सूरजमनी और विक्टर में से कौन टिकट पाएगा, इसे लेकर कयासबाजी जारी है।
सोमेश सोरेन ने नामांकन पत्र खरीद लिया है, लेकिन आधिकारिक घोषणा 15 अक्तूबर की बैठक के बाद ही होगी।
जेएमएम की जिला समिति पहले ही उनका नाम भेज चुकी है, पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निर्भर करेगा।
🔸 मुकाबला होगा दिलचस्प
झारखंड जन लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम महतो भी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तीन बार विधायक रह चुके डॉ. प्रदीप कुमार बालमुचू भी चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। अगर वे उतरे तो मुकाबला बहुकोणीय और दिलचस्प हो जाएगा।
घाटशिला उपचुनाव अब केवल राजनीति नहीं, बल्कि भावनाओं, रणनीति और समीकरणों का युद्धक्षेत्र बन चुका है।
बैंड-बाजा-बारात तैयार है… बस दूल्हे की घोषणा बाकी है!
