सनसनीखेज वारदात : पटना में डॉक्टर दंपति से साइबर ठगी, 12 दिन डिजिटल गिरफ्त में लेकर 1.95 करोड़ ट्रांसफर कराये
पटना साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड डॉक्टर दंपति को 12 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। साइबर अपराधियों ने CBI और पुलिस बनकर उन्हें डराया, धमकाया और वीडियो कॉल पर नजर रखते हुए 1.95 करोड़ रुपये ठग लिए। इस डिजिटल बंधक प्रकरण ने बिहार में साइबर सिक्योरिटी की पोल खोल दी है।

पटना में डॉक्टर दंपति से साइबर ठगी : साइबर ठगों ने खुद को जज, वकील और CBI अधिकारी बताकर धमकाया; 6 बार बैंक जाकर RTGS से ट्रांसफर कराए रुपये, पर्दे के पीछे कैद रहे बुज़ुर्ग
Patna : पटना में डॉक्टर दंपति से साइबर ठगी का यह मामला न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि कैसे डिजिटल अपराध आज लोगों की मानसिक सुरक्षा तक को तोड़ने में सक्षम हो गए हैं।
पटना के हनुमान नगर इलाके में रहने वाले रिटायर्ड डॉक्टर डॉ. राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी छवि देवी को साइबर अपराधियों ने 12 दिनों तक ‘डिजिटल गिरफ्त’ में रखा। इन 12 दिनों में दंपति को किसी से मिलने नहीं दिया गया। दरवाज़े और खिड़कियों पर पर्दे डाल दिए गए, और हर वक्त वीडियो कॉलिंग पर नज़र रखी गई।
🔻 डिजिटल अरेस्ट की कहानी: पर्दे के पीछे का डर
यह सब 21 मई को शुरू हुआ, जब एक फोन कॉल आया। कॉल मुंबई से था और कॉलर ने खुद को CBI का अधिकारी बताया। कहा गया कि डॉक्टर दंपति के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है और उन्हें तुरंत मुंबई आना होगा।
डॉ. राधे मोहन जब असमर्थता जताते हैं, तो उन्हें कोलाबा पुलिस स्टेशन का नंबर दिया जाता है। वहां से पुष्टि मिलती है कि राधे मोहन और छवि प्रसाद के खिलाफ मामला दर्ज है। इसके बाद वीडियो कॉल शुरू होता है—जिसमें पुलिस की वर्दी पहने लोग, कोर्ट रूम और जज की तरह दिखने वाले लोग स्क्रीन पर मौजूद रहते हैं।

🔻 हर रोज़ एक नयी धमकी: ‘गिरफ्तारी नहीं चाहते तो पैसे भेजिए’
अब साइबर ठगों ने धीरे-धीरे पूरा नियंत्रण ले लिया। उन्हें बताया गया कि उनके आधार कार्ड से किसी ने मुंबई में SIM खरीदा, जिससे कई लोगों से धोखाधड़ी हुई है।
दंपती को धमकाया गया कि अगर उन्होंने पैसे ट्रांसफर नहीं किए, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।
डर के मारे डॉक्टर दंपति खुद छह बार बैंक जाकर RTGS के ज़रिए कुल 1.95 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर देते हैं। यह उनकी पूरी ज़िंदगी की कमाई थी।
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🔻 डॉक्टर सौरभ: “मां की एक्टिंग से हमें शक भी नहीं हुआ”
डॉ. प्रसाद के छोटे बेटे डॉ. सौरभ मोहन, जो दिल्ली में रहते हैं, बताते हैं कि इन 12 दिनों में वह रोज़ाना कॉल पर माता-पिता से बात करते रहे, लेकिन एक बार भी उन्हें कोई संदेह नहीं हुआ।
“मां फोन पर बिल्कुल सामान्य बात करती थीं। वे एक्टिंग इतनी अच्छी करती थीं कि कुछ भी असामान्य नहीं लगा।”
घर आने वाले ड्राइवर और सफाई कर्मचारी को भी अंदाजा नहीं हुआ कि अंदर क्या हो रहा है।
“जब भी कोई रूम में जाने की कोशिश करता, पर्दे के पीछे से ही लौटा दिया जाता। किसी ने नहीं सोचा कि बुजुर्ग दंपती बंधक हैं।”

🔻 साइबर थाना में दर्ज हुई FIR, 53 लाख रुपए होल्ड
जब डॉ. प्रसाद को संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ हो रही है, तो उन्होंने बेटे को सूचना दी और बुधवार को साइबर एसपी से मिले।
गुरुवार को साइबर थाना में मामला दर्ज किया गया। जांच शुरू हुई तो बैंक खातों में भेजी गई राशि में से 53 लाख रुपये को तत्काल होल्ड करवा दिया गया।
साइबर थाने के प्रभारी डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि ठगी में शामिल खातों की पहचान कर बैंकों से विवरण मांगा गया है। शेष रकम को ट्रैक किया जा रहा है।
🧠 मनोवैज्ञानिक जाल: साइबर अपराध का नया हथियार
यह मामला केवल वित्तीय धोखाधड़ी नहीं, बल्कि मानसिक शोषण का भी उदाहरण है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ का यह तरीका भारत में नया है, लेकिन अत्यंत खतरनाक है।
नकली जज, CBI अधिकारी और कोर्ट रूम दिखाकर बुजुर्गों को डराना, उनसे ज़बरदस्ती पैसे ट्रांसफर करवाना—यह साइबर ठगी का नया रूप है।
डॉ. सौरभ ने कहा, “यह मेरे माता-पिता के साथ ही नहीं, हर बुजुर्ग के साथ हो सकता है। जब तक साइबर जागरूकता गांव-शहरों तक नहीं पहुंचेगी, तब तक यह खतरा कायम रहेगा।”
