गालूडीह वाटर पार्क हादसा : वेव पूल में डूबी 6 साल की बच्ची, लापरवाही ने ली मासूम की जान
झारखंड के गालूडीह वाटर पार्क में गर्मी की छुट्टियों के दौरान एक मासूम बच्ची की डूबने से मौत हो गई। प्रशासन की जांच में सुरक्षा की घोर लापरवाही सामने आई है। जानिए हादसे की पूरी कहानी, पिछली घटनाएं और उठते सवाल।

Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल स्थित गालूडीह के बिरसा वाटर पार्क में गुरुवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 6 वर्षीय सृष्टि कुमारी की डूबने से मौत हो गयी। गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ मस्ती करने आयी यह मासूम बच्ची पार्क में मौजूद वेव पूल में अचानक गहरे पानी में चली गई और डूब गयी।
छुट्टी का प्लान बना मातम
सृष्टि, चतरा जिले के रहने वाले मिथुन कुमार की बेटी थी। मिथुन अपनी पत्नी सीमा देवी और तीन बच्चों के साथ अपने मामा के घर मानगो, जमशेदपुर आए थे। पारिवारिक भ्रमण के तहत वे सभी गालूडीह वाटर पार्क पहुंचे थे। इस यात्रा में उनके रिश्तेदार राजा सिंह और गौरव सिंह भी शामिल थे। सभी लोग पार्क के वेव पूल में पानी का आनंद ले रहे थे, तभी छोटी सृष्टि अचानक गहरे हिस्से में फिसल गई।
परिवार ने तुरंत उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन जब तक उसे बाहर निकाला जाता, तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।
प्रशासनिक जांच में लापरवाही उजागर
मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि वाटर पार्क में रेस्क्यू या लाइफ सेफ्टी के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे। ना ही कोई प्रशिक्षित लाइफ गार्ड, ना ही कोई फ्लोटिंग सुरक्षा उपकरण। यही नहीं, घटनास्थल के आसपास कोई चेतावनी बोर्ड या गहराई संकेत भी स्पष्ट रूप से नहीं दिखा।
यह लापरवाही ही इस दुर्घटना का मुख्य कारण मानी जा रही है।
पहले भी हो चुका है हादसा
यह पहली बार नहीं है कि इस वाटर पार्क में सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हों। साल 2022 में भी एक युवक की मौत हुई थी, जब वह स्लाइड से गिर पड़ा था। उस समय भी पार्क प्रशासन पर लापरवाही और सेफ्टी प्रोटोकॉल की अनदेखी के गंभीर आरोप लगे थे।
इतने वर्षों बाद भी कोई ठोस सुधार नहीं किया गया — यही इस मासूम की मौत का सबसे बड़ा प्रश्न बन गया है।
कई सवाल खड़े कर गया हादसा
- क्या प्रशासन ने 2022 के हादसे के बाद कोई सख्त कार्रवाई की थी?
- क्या झारखंड के वाटर पार्क्स के लिए सुरक्षा मानकों की कोई निगरानी एजेंसी है?
- बच्चों के लिए सुरक्षित क्षेत्रों को चिन्हित क्यों नहीं किया गया?
- लाइफ गार्ड की अनिवार्यता लागू क्यों नहीं की गई?
