रांची में जमीन विवाद सुलझाने गयी पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी और दो जवान घायल, आत्मरक्षा में चलायी गोली, दो ग्रामीण जख्मी

Ranchi : रांची जिले के लापुंग प्रखंड के कोयनारा गांव में मंगलवार को 55 एकड़ जमीन विवाद को सुलझाने पहुंची पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया, जिसमें थाना प्रभारी संतोष कुमार यादव और दो अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। आत्मरक्षा में पुलिस ने हवाई फायरिंग की, जिससे दो ग्रामीण भी घायल हुए।
घटना मंगलवार को कोयनारा गांव में हुई, जब पुलिस टीम एक पुराने जमीन विवाद को सुलझाने पहुंची थी। इस विवाद में एक पक्ष, लाल वैभव लाथ शाहदेव, 60 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर रहे थे, जबकि ग्रामीण इस जमीन पर वर्षों से खेती कर रहे थे। जब शाहदेव दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गयी। पुलिस की उपस्थिति के बावजूद, ग्रामीणों ने लाठी और धारदार हथियारों से हमला कर दिया।
हमले में थाना प्रभारी संतोष कुमार यादव गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि दो अन्य पुलिसकर्मी, लालू उरांव और पुनई लोहरा, भी घायल हुए। आत्मरक्षा में पुलिस ने हवाई फायरिंग की, जिससे दो ग्रामीण, जतरू मुंडा (22) और बिरस उरांव (45), घायल हो गए। सभी घायलों को रांची के राज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पूर्व नक्सली की संलिप्तता
रांची के डीआईजी-सह-एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि इस हमले के पीछे पूर्व नक्सली पुनई उरांव का हाथ है, जिसने स्थानीय युवकों को उकसाया। पुलिस ने इस मामले में 10 से अधिक नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
जमीन विवाद की पृष्ठभूमि
इस विवाद की जड़ें 1964 में हैं, जब हुरहुरी के पूर्व जमींदार लाल सत्यनारायण नाथ शाहदेव ने कोयनारा की 55 एकड़ 56 डिसमिल जमीन विस्थापित लेदे उरांव को बेची थी। ग्रामीणों के पास इस जमीन के पट्टा और डीड हैं। हालांकि, जमींदार के वंशज, लाल वैभव नाथ शाहदेव, इस जमीन को खतियानी बताते हुए दावा करते हैं कि उन्होंने या उनके पूर्वजों ने कभी यह जमीन नहीं बेची।
पुलिस की कार्रवाई और सुरक्षा उपाय
घटना के बाद, रांची के एसडीओ कुमार उत्कर्ष और ग्रामीण एसपी प्रवीण पुष्कर ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो
लापुंग प्रखंड, जहां यह घटना हुई, झारखंड के उन क्षेत्रों में से एक है जहां माओवादी गतिविधियाँ पहले सक्रिय थीं, हालांकि हाल के वर्षों में इनकी तीव्रता में कमी आई है। क्षेत्र की जनसंख्या में अधिकांश आदिवासी समुदाय के लोग हैं, और भूमि विवाद यहां एक संवेदनशील मुद्दा रहा है।
