मोदी का ‘न्यू नॉर्मल’ और भारत की PoK सौंपने की मांग : यह भारत की कूटनीतिक भाषा का नया दौर है
प्रधानमंत्री मोदी के आदमपुर भाषण और विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने ट्रंप के युद्धविराम दावे को नकारते हुए भारत की नई सुरक्षा नीति स्पष्ट की।

आनंद कुमार
13 मई 2025 को भारत ने एक ही दिन में दो स्तरों पर ऐसा संदेश दिया जिसने न केवल पाकिस्तान बल्कि अमेरिका जैसे वैश्विक ताकतों को भी साफ कर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और कश्मीर जैसे मुद्दों पर वह अब किसी मध्यस्थता या दबाव की भाषा नहीं सुनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदमपुर एयरबेस से सेना को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘न्यू नॉर्मल’ की घोषणा की, तो वहीं विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन बयानों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने युद्धविराम का श्रेय खुद को दिया था और दावा किया था कि अगर भारत और पाकिस्तान नहीं मानते, तो अमेरिका व्यापार बंद कर देता। भारत ने आज दोटूर कहा कि पाकिस्तान को PoK खाली करना होगा और सभी मामले द्विपक्षीय तरीके से ही हल किये जायेंगे।
इस लेख में हम यह देखेंगे कि भारत ने हाल की परिस्थितियों में क्या संदेश दिया, विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावों को कैसे खारिज किया, ‘ऑपरेशन सिंदूर’, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘एयर स्ट्राइक’ किस प्रकार न्यू नार्मल बना रही हैं, लक्ष्मण-रेखाएं कैसे तय की गयी हैं और इस रणनीति से मोदी को कितना राजनीतिक लाभ हो सकता है।
भारत का वर्तमान कूटनीतिक-सैन्य रुख
डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध विराम का श्रेय लेने के दावों और कश्मीर पर अमेरिकी मध्यस्थता पर उनके बयान से उपजी आशंकाओं के बीच भारत ने आज स्पष्ट रुख अपनाया। भारत ने साफ कहा है कि पाकिस्तान से जुड़े सभी मुद्दे द्विपक्षीय ही हल होंगे और कोई तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि भारतीय सेना की हालिया कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक युद्धक्षेत्र में थी तथा कश्मीर संघर्ष का समाधान भी द्विपक्षीय ही होना चाहिए। भारत ने दोहराया है कि उसकी नयी भूमिका में परमाणु खतरे या न्यूकलियर ब्लैकमेलिंग की परवाह किये बिना आतंकवाद को नष्ट करना सबसे पहले आता है। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में वायुसेना की क्षमताओं पर जोर देते हुए बताया कि भारतीय सेना अब हथियारों के साथ ड्रोन और डेटा का उपयोग कर दुश्मन को मार गिराने में भी माहिर हो गयी हैं। इन बयानों से संकेत मिलता है कि भारत न केवल पारंपरिक सुरक्षा क्षमताएं बढ़ा रहा है, बल्कि साइबर-इंटेलिजेंस एवं उच्च तकनीक के उपयोग को भी अपनाकर किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है। कुल मिलाकर, भारत का रुख आत्मनिर्भर और निर्णायक है: वह किसी भी परमाणु धमकी या सीमा-उल्लंघन को स्वीकार नहीं करेगा और आतंक के ठिकानों पर जब चाहे वार करने का अधिकार सुरक्षित रखेगा।
प्रधानमंत्री के संदेश: दृढ़ता और आत्मविश्वास
प्रधानमंत्री मोदी के आदमपुर भाषण के जरिए भारत ने दुनिया को दो स्पष्ट संदेश दिए। पहला, भारत की सेना अब हर आयाम में मजबूत है। मोदी ने सशस्त्र बलों का उत्साहवर्धन करते हुए बताया कि हमारी वायुसेना, थलसेना और नौसेना हमेशा अलर्ट पर हैं और दुश्मन की हर हरकत पर निगाह रखेंगी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए जवानों की बहादुरी की सराहना की और हथियारों के साथ-साथ ड्रोन एवं खुफिया डेटा के इस्तेमाल को भी ताकत बताया। दूसरा, मोदी ने पाकिस्तान के दावों को बेनकाब किया। भाषण के दौरान उनके पीछे मंच पर खड़े S-400 मिसाइल सिस्टम और मिग-29 जेट ने यह संदेश दिया कि पाकिस्तान के दावे खोखले हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई आतंकी हमला हुआ तो उसके ठिकानों पर करारा जवाब दिया जाएगा। इन बयानों से मोदी ने विश्व को यह जताया कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख अख्तियार करके आत्मविश्वास से भरा हुआ है। NDA नेताओं ने भी माना कि इस भाषण ने वैश्विक समुदाय और भारत के विरोधियों दोनों को एक दृढ़ संदेश दिया है।
ट्रंप के दावों पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
अमेरिकी दावों और मध्यस्थता प्रस्ताव पर विदेश मंत्रालय ने भारतीय रुख स्पष्ट किया। ट्रंप ने शांति समझौते और कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन भारत ने इसे खारिज किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-पाक युद्धविराम पूरी तरह से दोनों पक्षों की सहमति से हुआ और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी। मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि हमारी सैन्य कार्रवाई पारंपरिक सीमाओं में ही थी और परमाणु-युद्ध जैसी स्थिति कभी पैदा ही नहीं हुई। जायसवाल ने बताया कि भारत ने अमेरिका को आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई के बारे में बताया था और 6-7 मई से लेकर लगातार इसी बारे में बात होती रही। व्यापार पर अमेरिका से कोई बात नहीं हई। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के नागरिक पर हमला किया और सैनिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, जबकि भारत ने सिर्फ आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया। विदश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया सपष्ट संदेश है कि भारत किसी पर आश्रित नहीं रहेगा। ट्रंप के दावे को नजरंदाज करके और पाकिस्तान को पीओके खाली करने की बात कहकर भारत ने साफ किया कि वह कश्मीर में किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा।

ऑपरेशन सिंदूर, स्ट्राइक और ‘न्यू नॉर्मल’
हाल की सैन्य कार्रवाईयां भारत की नयी रणनीति में शामिल हैं और इन्हें ‘न्यू नॉर्मल’ कहा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ नयी राह निर्धारित की है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद अब ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्थापित किया कि सीमापार स्थित आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी हमला अब सामान्य सामरिक विकल्प माना जाएगा।
यानी यह नीति अब भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा बन गयी है।
लक्ष्मण-रेखाएं : पीओके, परमाणु ब्लैकमेल और आतंकवाद
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में भारत की तय सीमाओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने दोहराया कि बातचीत में पाकिस्तान-स्वीकृत कश्मीर (पीओके) लौटाना ही हो सकता है। मोदी ने कहा, “आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते…अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो केवल आतंकवाद और पीओके पर। साथ ही उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा कि भारत “न्यूक्लियर ब्लैकमेल” सहन नहीं करेगा। वे इसे नये तीन सिद्धांतों में शामिल करते हुए कह गए, कि भारत परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा। मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद को पालने पोसने वाली सरकार और आतंकवादी आकाओं में कोई अंतर नहीं किया जाएगा। इन बयानों से भारत ने अपनी लक्ष्मण-रेखा साफ़ कर दी है और वह है PoK की वापसी, परमाणु दबाव से इनकार और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस।
नयी रणनीति और राजनीतिक पूंजी
इस कठोर रवैये और सैन्य कार्रवाइयों से प्रधानमंत्री मोदी को महत्वपूर्ण राजनीतिक बढ़त मिली है। देश में उठते सवालों और वैश्विक दबाव के बीच मोदी ने अपनी संप्रभुता का संदेश दिया और विदेशी दावों को चुपचाप टाला, जिससे उनके राष्ट्रवादी समर्थकों को भी ताकत मिली। NDA और सहयोगी दलों ने माना कि इस संघर्षपूर्ण संदेश से विश्व समुदाय और हमारे प्रतिद्वंद्वियों दोनों को स्पष्ट संकेत गया। यह भी देखा गया कि विपक्ष के सवालों के बावजूद मोदी ने अपनी नीति से पीछे नहीं हटने का इशारा किया। ट्रंप की कथित मध्यस्थता से उत्पन्न संकट पर मोदी सरकार ने ‘हमारी शर्तें, हमारा समाधान’ की बात की, जिससे उनकी सत्ता में दृढ़ता का आभास बढ़ा। कुल मिलाकर, सैन्य मजबूती और कठोर कूटनीतिक रुख ने मोदी के नेतृत्व को भय रहित एवं दृढ़ दिखाया है, जो उन्हें आंतरिक रूप से राजनीतिक लाभ पहुंचा रहा है।
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| 🗓️ तारीख | 13 मई 2025 |
| 🧑✈️ प्रमुख वक्तव्य | पीएम नरेंद्र मोदी का आदमपुर एयरबेस से भाषण |
| 🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया | अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के युद्धविराम और व्यापार दबाव संबंधी दावे |
| 🛡️ भारत की स्थिति | आतंकी हमलों का जवाब अब “अपने तरीके, शर्तों और समय” पर |
| 🚫 ट्रंप का दावा खारिज | कश्मीर पर मध्यस्थता और व्यापार बंद करने जैसे दावों को विदेश मंत्रालय ने सिरे से नकारा |
| 🎯 भारत की नई नीति | सर्जिकल स्ट्राइक, एयरस्ट्राइक और अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ – भारत का न्यू नॉर्मल |
| 🔁 पाक की प्रतिक्रिया | डीजीएमओ स्तर पर बातचीत की पेशकश, हमला विफल होने के बाद ढोल पीटना |
प्रधानमंत्री मोदी का आदमपुर भाषण और विदेश मंत्रालय की दो टूक प्रतिक्रिया मिलकर यह दर्शाते हैं कि भारत अब किसी भी स्तर पर झुकने को तैयार नहीं। ट्रंप जैसे वैश्विक नेताओं के दावों पर खुला विरोध दर्शाता है कि भारत अब अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बन चुका है। ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक है, और यह भारत की नई सुरक्षा नीति का ठोस आधार बन चुका है – जहां आतंक का जवाब अब ‘शब्दों’ में नहीं, बल्कि ‘कार्रवाई’ में मिलेगा।
