सीजफायर टूटा-भरोसा भी : LOC पर पाक की फायरिंग के पीछे सेना की मंशा या अमेरिकी दबाव के बाद उठा बगावती कदम?
भारत-पाक युद्धविराम सिर्फ 3 घंटे में टूटा। पाकिस्तान सेना ने LOC पर गोलीबारी और ड्रोन हमले किए। क्या अमेरिकी दवाब में हुआ समझौता सेना को मंज़ूर नहीं? पढ़ें पूरा विश्लेषण।
लोकतांत्रिक सरकार के फैसले का उल्लंघन | क्या फिर मार्शल लॉ की तरफ बढ़ रहा है पाकिस्तान

आनंद कुमार
Ranchi : भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुआ संघर्षविराम समझौता महज़ 3 घंटे में ध्वस्त हो गया। शाम 5 बजे से लागू हुए संघर्ष विराम की घोषणा के बाद उम्मीद थी कि सीमाओं पर शांति लौटेगी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से एक बार फिर एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलीबारी और ड्रोन हमलों की शुरुआत कर दी गई। श्रीनगर, उधमपुर और आरएस पुरा सहित कई क्षेत्रों में तनावपूर्ण हालात हैं। श्रीनगर में चार पाकिस्तानी ड्रोन गिराए गए हैं। उधमपुर और कुपवाड़ा में भी ड्रोन देखे जाने की खबरें सामने आई हैं। आरएस पुरा, अखनूर और भिम्बर सेक्टर में भारी गोलीबारी जारी है। सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट और अफरातफरी की स्थिति है। भारत की तरफ से अभी संघर्ष विराम तोड़े जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
उमर अब्दुल्ला का ट्वीट – संघर्ष विराम का क्या हुआ?
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कहा, “संघर्षविराम का क्या हुआ? श्रीनगर में विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं।” सेना के सूत्रों ने बताया है कि भारतीय पक्ष पूरी तरह से सतर्क है और जवाबी कार्रवाई की जा रही है।

LOC पर गोलीबारी, जम्मू-कश्मीर में ड्रोन हमले और सीमा पार से बढ़ती आक्रामकता ने यह सवाल फिर खड़ा कर दिया है कि क्या पाकिस्तान में असली सत्ता प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के पास है, या सेना ने एक बार फिर सियासी नेतृत्व को हाशिए पर धकेल दिया है?
लेकिन इस घटनाक्रम में एक तीसरा और अहम पक्ष भी है — अमेरिका।
🇺🇸 अमेरिका की सक्रियता और ट्रंप की कोशिश: क्या युद्धविराम अमेरिका की कूटनीतिक जीत थी?

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का क्रेडिट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। ट्रंप ने कहा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को कॉमन सेंस और बेहतरीन इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिए बधाई। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!”
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ट्वीट किया, “पिछले 48 घंटों में उप राष्ट्रपति वेंस और मैंने वरिष्ठ भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत की है, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, सेना प्रमुख असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक शामिल हुए। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल युद्ध विराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गई हैं। हम शांति का मार्ग चुनने में प्रधानमंत्री मोदी और शरीफ की बुद्धिमत्ता, विवेक और राजनीति कौशल की सराहना करते हैं।”
हालांकि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि “पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने आज दोपहर साढ़े तीन बजे भारतीय DGMO को फोन किया। उनके बीच यह सहमति बनी कि दोनों पक्ष भारतीय मानक समयानुसार 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे। आज दोनों पक्षों को इस सहमति को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। सैन्य संचालन महानिदेशक 12 मई को 12 बजे फिर से बात करेंगे।”
भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर बातचीत हुई। आज दोपहर पाक DGMO ने बातचीत की पहल की, जिसके बाद चर्चा हुई और सहमति बनी। किसी अन्य मुद्दे पर किसी अन्य स्थान पर बातचीत करने का कोई निर्णय नहीं हुआ।

पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार ने शनिवार शाम 5.30 बजे सोशल मीडिया पर लिखा- भारत और पाकिस्तान तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं। पाकिस्तान ने हमेशा अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना शांति और सुरक्षा के लिए प्रयास किया है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत-पाकिस्तान में युद्ध विराम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को आभार जताया है। उन्होंने कहा कि हम दक्षिण एशिया में शांति लाने के लिए उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी धन्यवाद देते हैं। जियो न्यूज के मुताबिक शहबाज शरीफ ने कहा- पाकिस्तान का मानना है कि यह उन मुद्दों के समाधान की दिशा में एक नई शुरुआत है, जिनकी वजह से इस इलाके में लगातार तनाव बना रहता है।
परंतु अब जब पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम कुछ ही घंटों में टूट गया, यह अमेरिका के लिए भी एक कूटनीतिक झटका बन गया है और उसके मध्यस्थता के दावों पर सवाल खड़े हो गये हैं।
जाहिर है शरीफ और इसाक डार का यह बयान पाकिस्तान की सेना को रास नहीं आया। LOC पर फायरिंग और ड्रोन हमलों से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री का आदेश वहां कोई मायने नहीं रखता।
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई शहबाज़ शरीफ़ को नीचा दिखाने और सेना की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ को दोबारा स्थापित करने की कोशिश है।
भारत की चेतावनी: आतंकी हमला होगा तो युद्ध समझा जाएगा, सिंधु जल समझौता भी स्थगित रहेगा
भारत ने युद्धविराम से पहले स्पष्ट शब्दों में दो शर्तें रखी थीं:
- अगर पाकिस्तान की ओर से भारत की जमीन पर कोई आतंकी हमला होता है, तो उसे ‘सीधी युद्ध कार्रवाई’ माना जाएगा।
- सिंधु जल समझौते को तब तक पूरी तरह निलंबित रखा जाएगा, जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से भारत विरोधी आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करता।
भारत ने कहा था कि संघर्षविराम सिर्फ काग़ज़ पर नहीं, जमीन पर दिखना चाहिए। अब LOC पर हुए हमले और श्रीनगर में हुए ड्रोन हमलों ने इन चेतावनियों को और भी निर्णायक बना दिया है।
क्या यह सिर्फ़ संघर्षविराम का उल्लंघन है या सत्ता संघर्ष का संकेत?
पाकिस्तान में बार-बार यही देखने को मिला है कि जब-जब नागरिक सरकार ने भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश की, सेना ने गोलीबारी या युद्ध जैसी कार्रवाइयों से उसे विफल कर दिया।
- 1999 में नवाज़ शरीफ़ और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच लाहौर बस यात्रा के बाद कारगिल युद्ध हुआ।
- 2008 के मुंबई हमले के बाद भी जब लोकतांत्रिक सरकार नरम रुख अपनाना चाहती थी, ISI और सेना ने अपनी नीतियां थोप दीं।
अब शहबाज़ शरीफ़ के प्रयासों के बीच LOC पर फायरिंग होना, उसी पुराने स्क्रिप्ट का दोहराव लग रहा है।
सवाल यह भी है कि क्या पाकिस्तान एक बार फिर मार्शल लॉ की तरफ बढ़ रहा है। क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास इस तरह के सैन्य हस्तक्षेपों से भरा पड़ा है:
- 1958: अयूब खान ने इस्कंदर मिर्ज़ा को हटाया और सैन्य शासन लागू किया।
- 1977: ज़िया-उल-हक़ ने ज़ुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार गिराई और उन्हें फांसी दी।
- 1999: कारगिल युद्ध के बाद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने नवाज़ शरीफ़ की लोकतांत्रिक सरकार को हटा कर खुद को राष्ट्रपति घोषित किया।
भारत की रणनीतिक दिशा: सेना को जवाब और कूटनीति को पुनर्परिभाषा
इस घटनाक्रम के बाद भारत को दोहरी रणनीति अपनानी होगी:
- सीमा पर निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया, जिससे पाकिस्तान को हर उल्लंघन की कीमत चुकानी पड़े।
- पाकिस्तान की दोहरी सत्ता व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना, ताकि अमेरिका सहित अन्य शक्तियाँ सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं, रावलपिंडी के वास्तविक ताकतवर खिलाड़ियों को पहचानें।
युद्धविराम टूटा नहीं, तोड़ा गया — इरादतन और सुनियोजित ढंग से
यह केवल सीजफायर का उल्लंघन नहीं है — यह अमेरिका की मध्यस्थता को चुनौती, भारत की रणनीति को परीक्षा में डालने की कोशिश, और पाकिस्तान के भीतर सेना की सत्ता पुनःस्थापना की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
भारत को अब यह मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान से युद्ध नहीं, विश्वासघात होता है। और इस बार, जवाब भी वैसा ही होना चाहिए — स्पष्ट, ठोस और निर्णायक।
