November 22, 2025

Jharkhand News : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी! देखिए आपके अफसर और प्रवक्ता कैसे सरकार की किरकिरी करा रहे हैं

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Jharkhand News : झारखंड की राजनीति गरमाई! रिम्स-2 भूमि अधिग्रहण के विरोध में पूर्व CM चंपाई सोरेन को नजरबंद किया गया। पत्रकार तीर्थनाथ आकाश की गिरफ्तारी और सरकार पर बढ़ते सवालों पर पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

सीएम साहब... जरा देखिए, पुलिस और प्रवक्ता आपकी किरकिरी करा रहे (2)

Jharkhand News : पू्र्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के हाउस अरेस्ट, रिम्स-2 विवाद और पत्रकार तीर्थनाथ आकाश के हिरासत पर राजनीति गरमायी

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आनंद कुमार

Jharkhand News : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को आज रांची में उनके सरकारी आवास पर नजरबंद कर लिया गया। यह कार्रवाई नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 (रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में उनके द्वारा नियोजित “रोपा-पोसो” यानी हल चलाने के आंदोलन से पहले की गई। चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन को भी तमाड़ में पुलिस ने डिटेन किया, जो नगड़ी जा रहे थे। रांची जिला प्रशासन ने नगड़ी में धारा 144 लागू कर दी है। जानकारी के अनुसार प्रस्तावित रिम्स-2 के स्थल के 200 मीटर की परिधि में निषेधाज्ञा लगायी गयी है। इसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाई गई। किसी अप्रिय परिस्थिति से निबटने के लिए वाटर कैनन और रबर बुलेट्स की व्यवस्था भी की गई है।

चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया पर नजरबंद किये जाने की पुष्टि करते हुए लिखा कि नगड़ी के आदिवासी/ मूलवासी किसानों की आवाज उठाने से रोकने के लिए झारखंड सरकार ने आज सुबह से मुझे हाउस अरेस्ट कर लिया है।  चंपाई सोरेन के आधिकारिक ह्वास्टअप ग्रुप से जानकारी दी गयी है कि नगड़ी के किसान आंदोलन के समर्थन में आ रही सैकड़ों गाड़ियों को प्रशासन द्वारा जमशेदपुर, सरायकेला, पतरातु, रामगढ़, कांड्रा, चौका, बुंडू, तमाड़ समेत विभिन्न स्थानों पर रोका गया है।

रांची तथा आसपास के सभी जिलों की सीमा पर चेकपोस्ट बना कर सभी गाड़ियों को रोका जा रहा है। नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के विकास टोप्पो, सीता कच्छप समेत कई सदस्यों को पुलिस ने देर रात से हिरासत में ले लिया है।

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इससे पहले रांची पुलिस ने कल शाम पत्रकार तीर्थनाथ आकाश और उनकी एक सहयोगी सुनीता मुंडा को हिरासत में लिया. हालांकि कुछ घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। तीर्थनाथ गोड्डा में सूर्या हांसदा के पुलिस एनकाउंटर पर लगातार सवाल उठा रहे थे. इसके साथ ही वे रांची के नगड़ी में रिम्स टू के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में भी मुखर थे। कल शाम अरगोड़ा थाना की पुलिस उन्हें थाने ले गयी और दो घंटे थाने में बैठाये रखा।

तीर्थनाथ झारखंडी मुद्दों और सवालों को लेकर लंबे समय से मुखर रहे हैं और पिछली तीन सरकारों में उन्हें पुलिस का सामनाकरना पड़ा है. सत्ता पर सवाल उठाने के कारण तीर्थ नाथ आकाश के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें से एक मामले में वे बरी हो चुके हैं और बाकी मामलों में जमानत पर हैं। वर्तमान में उनके खिलाफ कोई वारंट जारी नहीं है और न ही कोई ऐसा आरोप है जिसके आधार पर पुलिस उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर सके। इसके बावजूद 24 अगस्त की शाम को अरगोड़ा थाना पुलिस भारी संख्या में उनके कार्यालय पहुंची और उन्हें तथा उनकी महिला सहयोगी सुनिता को हिरासत में ले लिया।

इसके पहले भी रघुवर दास की भाजपा सरकार में भी तीर्थनाथ को नौ घंटे डीटेन किया गया था। हेमंत सोरेन की पिछली सरकार में पुलिस सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की कथित आत्महत्या के मामले को लेकर उन्होंने कई लोगों पर सवाल उठाये थे। इसके बाद उनपर एफ्रआईआर हुआ और उन्हें कई दिन तक जेल में रहना पड़ा। और यह लगतार तीसरी सरकार है जब तीर्थनाथ को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।

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पुलिस कार्रवाई के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर तीर्थ नाथ के समर्थन में जबरदस्त माहौल बन गया। कई पत्रकारों के साथ ही भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और बड़े नेता उनके पक्ष में खुलकर सामने आए। कहा जा रहा है कि बढ़ते दबाव के बीच पुलिस ने देर रात एक समझौते के तहत तीर्थ नाथ को रिहा किया, लेकिन शर्त यह थी कि वे नगड़ी आंदोलन की कवरेज नहीं करेंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार देर रात उन्हें रांची सीमा से बाहर भेजा गया। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है, लेकिन अगर ऐसा है, तो सवाल उठता है—रांची पुलिस को आखिर एक स्वतंत्र पत्रकार से इतना डर क्यों है?

तीर्थनाथ के कड़वे सवालों से गोड्डा एनकाउंटर और रिम्स-2—को लेकर न केवल सोशल मीडिया पर बहस तेज हुई है, बल्कि बीजेपी भी इन मुद्दों पर झामुमो सरकार को घेरने में जुट गई है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री और कभी झामुमो के कद्दावर नेता रहे चंपाई सोरेन तो इन दोनों मामलों में सीधे-सीधे सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। तीर्थनाथ को हिरासत में लिये जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा – रांची पुलिस ने बिना वारंट और बिना किसी केस के पत्रकार तीर्थनाथ आकाश को गिरफ्तार किया है। यह केवल एक पत्रकार की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक सिस्टम का गला घोंटने की साज़िश है।

मरांडी ने एक अन्य ट्वीट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संबोधित करते हुए लिखा -हेमंत सोरेन जी, आपको पहले ही चेताया था कि आपकी पुलिस बेलगाम हो चुकी है। पर अब यह साफ़ लग रहा है कि यह सब कुछ आपकी सीधी निगरानी और मौन सहमति से हो रहा है। आज सुबह तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि कल रात जिस तरह दो आदिवासी पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया, उसने साफ कर दिया कि सरकार सच उजागर होने के डर से घबराई हुई है। यह सब मुख्यमंत्री की सहमति के बिना संभव ही नहीं हो सकता।

पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने लिखा – रांची पुलिस ने बिना किसी ठोस वजह के पत्रकार तीर्थनाथ आकाश को गिरफ्तार कर लिया। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और यह गिरफ्तारी “सच” को दबाने का प्रयास है। रिम्स-2 में आदिवासी समाज की जमीन लूट एवं सूर्या हांसदा के एनकाउंटर का मामला लगातार उठा रहे आकाश ने जिस प्रकार सच को सामने लाने का जज्बा दिखाया, उसके बाद, उस आवाज को रोकने के लिए यह कार्यवाही की गई है। पिछले कुछ समय से झारखंड सरकार का पैटर्न एकदम स्पष्ट है – अगर आप आदिवासी समाज कि आवाज उठाने, या सरकार को सच का आईना दिखाने का प्रयास करेंगे, तो आपको फर्जी मामलों में फंसा कर गिरफ्तार किया जायेगा, या फिर फर्जी एनकाउंटर।

 दोस्तो, पत्रकार तीर्थनाथ आकाश बीते दिनों लगातार कई गंभीर मुद्दों को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से उठा रहे हैं। खासकर गोड्डा के सूर्या हांसदा एनकाउंटर को लेकर उन्होंने आक्रामक रिपोर्टिंग की और पुलिस और सरकारी तंत्र को असहज करनेवाले सवाल खड़े किए। उनके वीडियोज काफी वायरल हुए उन्हें लगातार लाखों व्यूज़ भी मिल रहे हैं।

कानून व्यवस्था के नाम पर रैली, प्रदर्शन या सभी की इजाजत नहीं देना तो समझ में आता है, लेकिन किसी पत्रकार को सवाल पूछने से रोकना कहीं से स्वीकार्य नहीं हो सकता। यह सीधे-सीधे अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटना है। तीर्थनाथ का चैनल रांची बेस्ड है। वे रांची में रहकर पत्रकारिता करते हैं। कहीं बाहर से रिपोर्टिंग नहीं आये हैं. तो अगर उन्हें रांची से बाहर जाने को कहा गया, तो किस आधार पर किया गया। वह भी बिना कोर्ट के आदेश के।

प्रशासन कानून-व्यवस्था के नाम पर नगड़ी में नि षेधाज्ञा लगा सकता है। कर्फ्यू लगा सकता है, वहां किसी के आनेजाने पर पाबंदी लगा सकता है,लेकिन किसी पत्रकार को सवाल पूछने से कैसे रोक सकता है। पुलिस कैसे कह सकती है कि कोई पत्रकार या कोई सामान्य व्यक्ति भी अमुक मामले पर बोले या अमुक मामले पर न बोले।

अगर कोई ऐसी बात कही या लिखी जाती है, जो कानून के दायरे में न हो, किसी की मानहानि करती हो या सामाजिक सांप्रदायिक समरसता को भंग करती हो, अश्लील हो या हिंसा भड़कानेवाली हो तो एहतियातन कार्रवाई की बात समझ में आती है। लेकिन एक भूमि अधिग्रहण जैसे मसले पर चल रहे आंदोलन की कवरेज नहीं करने का आदेश पुलिस कैसे दे सकती है। अगर पुलिस ने ऐसी कोई चेतावनी तीर्थनाथ आकाश को दी है, तो वह सही नहीं है। गलत परंपरा की शुरुआत है।

अब बात प्रवक्ताओं की। भाजपा की जिन गलतियों की दुहाई जेएमएम दे रहा है, अगर उसकी सरकार में भी वही होगा, अगर अबुआ राज में आदिवासी जमीन के अधिग्रहण के लिए आदिवासियों का ही दमन किया जायेगा या किसी आदिवासी के एनकाउंटर पर सवाल उठाने पर जवाब में योगी राज का उदाहरण दिया जायेगा, तो फिर भाजपा की सरकार हो या महागठबंधन की सरकार, क्या फर्क रह जायेगा। और ऐसी घटनाओं से पुलिस या पार्टी के प्रवक्ताओं की छवि पर कोई असर नहीं पड़ता। छवि तो सरकार की खराब हो रही है।

भाजपा के आरोप राजनीतिक हैं। उनका काउंटर हो सकता है। भाजपा के नेता राजनीति लाभ के लिए अगर कुछ कर रहे हैं, तो उन्हें राजनीतिक जवाब दिया जा सकता है, लेकिन जनता के सवालों को आप योगी राज का उदाहरण देकर खारिज नहीं कर सकते यह नहीं कह सकते कि अमुक व्यक्ति महान पथ प्रदर्शक नहीं था। ऐसा कहकर आप उस एनकाउंटर को जायज ठहरा रहे हैं। जबकि किसी की भी जान लेने को, चाहे वह अपराधी ही क्यों न हो, कोई भी व्यक्ति जायज नहीं ठहरा सकता।

मुझे लगता है कि ऐसे प्रवक्ताओं को या ऐसे अफसरों को भले यह लगता हो कि वे सरकार का बचाव कर रहे हैं, लेकिन असल में वे सरकार की किरकिरी करा रहे होते हैं। उसे सवालों के घेरे में खड़ा रहे होते हैं। उसकी इमेज को दागदार बना रहे होते हैं। और बात इतनी आगे बढ़ा चुके होते हैं, कि सरकार के सामने भी मजबूरी हो जाती है कि उन्हें डिफेंड करे, क्योंकि फिर विपक्ष और मीडिया को मौका मिल जाता है यह कहने का कि – देखा सरकार गलत थी और हमने उसे झुकने पर मजबूर कर दिया। तो सत्ता में बैठे लोगों को भी अपने लोगों और प्रशासन पर सख्त कंट्रोल रखना चाहिए।

ये तो सत्ता की बात हो गयी, लेकिन मुझे तो सबसे ज्यादा तरस भारतीय जनता पार्टी पर आता है। पिछले कुछ समय से बीजेपी हेमंत सोरेन के हाथों हर मोर्चे पर मुंह की खा रही है। सूर्या हांसदा के मामले में भाजपा जितना माइलेज नहीं ले पायी, उससे कई गुना ज्यादा चर्चा तो तीर्थ नाथ आकाश ने बटोरी है। पुलिस ने दो घंटे उसे हिरासत में लेकर हीरो बना दिया. तीर्थनाथ सोशल मीडिया के पत्रकार हैं, सूर्या हांसदा और नगड़ी मामले पर उनके वीडियोज ने उन्हें खूब फॉलोअर और सबस्क्राइबर दिये। लाइक और कमेंट के जरिए इंगेजमेंट भी खूब मिला।

लेकिन फिलहाल भाजपा के नेता तीर्थनाथ का सहारा लेकर मुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश कर रहे हैं या तीर्थनाथ के वीडियोज शेयर करके अपने मुद्दों को जस्टिफाई कर रहे हैं, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, पांच-पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों वाली पार्टी बीजेपी को अब झारखंड में फिर से खड़े होने के लिए क्या इंडिपेंडेट पत्रकारों की बैसाखी की जरूरत पड़ गयी है.

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