Jharkhand कांग्रेस में अंदरूनी कलह पर आलाकमान सख्त, मंत्रियों के प्रदर्शन पर मांगा रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस आलाकमान की समीक्षा बैठक : Jharkhand सरकार के कामकाज और संगठन की स्थिति पर लिया गया फीडबैक

Ranchi : झारखंड (Jharkhand) कांग्रेस में बढ़ते अंदरूनी असंतोष और मंत्रियों की निष्क्रियता पर पार्टी आलाकमान ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। सोमवार को नयी दिल्ली में हुई कांग्रेस की केंद्रीय समीक्षा बैठक में प्रदेश अध्यक्ष, विधायक, मंत्री और सांसदों से सरकार के कामकाज और संगठन की स्थिति का सीधा फीडबैक लिया गया।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार में शामिल मंत्री पार्टी विधायकों की बात नहीं सुन रहे, यह स्थिति अब स्वीकार्य नहीं होगी।
विधायकों की नाराजगी बनी समीक्षा की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के बीच लगातार मतभेद की खबरें सामने आ रही थीं। सबसे मुखर आवाज उपनेता राजेश कच्छप की रही, जिन्होंने खुलकर कहा था कि “कांग्रेस के मंत्री पार्टी विधायकों की समस्याएं नहीं सुनते।” जनसमस्याओं से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होती।
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी और विधायक सुरेश बैठा के बीच रिम्स निदेशक को लेकर हुआ विवाद और बंधु तिर्की बनाम इरफान अंसारी की जुबानी जंग भी सुर्खियों में रही। ऐसे में पार्टी हाईकमान ने यह बैठक बुलाकर न सिर्फ स्थिति को भांपा, बल्कि स्पष्ट संदेश भी दे दिया।
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मंत्रियों से रिपोर्ट कार्ड मांगा गया, काम में तेजी लाने का निर्देश
बैठक में मौजूद चारों मंत्रियों—राधाकृष्ण किशोर, दीपिका पांडेय सिंह, इरफान अंसारी और शिल्पी नेहा तिर्की—से यह पूछा गया कि उन्होंने अपने विभागों में अब तक कौन-कौन से ठोस कार्य किए हैं।
आलाकमान ने कहा कि सरकार की “सात गारंटी योजनाएं” केवल घोषणापत्र का हिस्सा न रह जाएं, बल्कि इनका लाभ जनता तक जमीन पर पहुंचे, इसका ठोस रोडमैप बनाकर तीव्र क्रियान्वयन किया जाए।

राहुल गांधी की दो टूक—“जनता और कार्यकर्ता पहले”
राहुल गांधी ने मंत्रियों और विधायकों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा—
“जनता और कार्यकर्ता हमारी प्राथमिकता हैं। अगर कार्यकर्ता संगठन और सरकार के बीच की कड़ी हैं, तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें सशक्त करे और संवाद बनाए रखे।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि मंत्री-विधायक आपसी समन्वय बनाए रखें। मतभेद की खबरें जनता के बीच गलत संदेश देती हैं।
खड़गे का संदेश—“वंचित वर्गों के लिए संघर्ष, नीतिगत पहल ज़रूरी”
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा—
“हमें समाज के वंचित तबकों के अधिकार सुनिश्चित करने हैं। पार्टी को हर स्तर पर—जिला, प्रखंड और पंचायत तक—इस उद्देश्य के लिए संगठित और जागरूक रहना होगा।”
पार्टी के भीतर ही असंतुलन, कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान यह चिंता भी जताई गई कि विधायकों की उपेक्षा और संगठन से दूरी का असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा है। संगठन को मजबूत करने के लिए पंचायत स्तर तक कमेटियों का गठन, संविधान बचाओ रैली और प्रशिक्षण कार्यशालाएं जैसे प्रयास सराहे गए, लेकिन नेताओं के बीच समन्वय की कमी को सबसे बड़ी बाधा माना गया।
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संकेत साफ हैं—अब लापरवाही नहीं चलेगी
कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड (Jharkhand) कांग्रेस को स्पष्ट संदेश दे दिया है—अब काम दिखाओ, वरना जिम्मेदारी तय होगी। मंत्री यदि विधायकों को नजरअंदाज करेंगे या विभागीय कामकाज में सुस्ती दिखाई जाएगी, तो संगठन स्तर पर कार्रवाई भी संभव है।
पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा तेज है कि 2029 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन की स्थिति और मंत्रीगणों का रिपोर्ट कार्ड ही टिकट और जिम्मेदारियों का आधार बनेगा।
समीक्षा बैठक बनी चेतावनी का संदेश
दिल्ली में हुई यह समीक्षा बैठक सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि झारखंड (Jharkhand) कांग्रेस के लिए राजनीतिक चेतावनी बनकर उभरी है। जहां एक ओर आलाकमान ने संगठन के जमीनी कार्यों की सराहना की, वहीं दूसरी ओर सरकार में शामिल नेताओं को जनप्रतिनिधित्व और जवाबदेही की अहमियत का अहसास भी कराया।
अब देखना होगा कि झारखंड (Jharkhand) कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर किस तरह से आत्ममंथन कर स्थिति को सुधारती है — या मतभेदों और निष्क्रियता के कारण भविष्य की राह और कठिन बनाती है।
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