बिहार में किसके इर्द-गिर्द राजनीति घूम रही है? तेजस्वी, नीतीश या फिर कोई और ?

Patna : बिहार की राजनीति में हलचल है। गुजरे एक सप्ताह को देखेंगे तो महागठबंधन से लेकर एनडीए तक,बड़े बयान और बड़ी बातें सामने आईं!
राजद की अगुवायी वाले महागठबंधन की बैठक बिहार कांग्रेस दफ्तर सदाकत आश्रम में हुई। एजेंडा तय हुआ, कमिटियों का गठन हुआ। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जस का तस है कि क्या कांग्रेस तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा मानेगी? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, हमारे यहां सब क्लियर है,आप लोग एनडीए में झांकिए,वहां कौन लीडर है,पता नहीं!”
उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मधुबनी के झंझारपुर में एक बार फिर पीएम मोदी को भरोसा दिलाया कि हम अब राजद के साथ नहीं जाएंगे। नीतीश ने खुलासा किया कि ललन सिंह के कहने पर गलती से उधर गए थे। लेकिन अब ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं ललन सिंह की भाजपा से नजदीकी ने नीतीश कुमार को फिर से सोचने पर मजबूर तो नहीं कर दिया?” इतिहास उठाकर देखें तो आरसीपी सिंह का किस्सा भी कुछ ऐसा ही था । भाजपा से करीबी बढ़ी और कहानी सब जानते हैं। अब चर्चा तेज है कि नीतीश जल्द ही ललन सिंह और संजय झा से दूरी बना सकते हैं।
इस बीच, चिराग पासवान ने बड़ा ऐलान किया कि वो बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चिराग ने कहा कि केंद्र की राजनीति में असहज हूं, बिहार में सहज महसूस करता हूं। बिलकुल साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकता बिहार और बिहारी हैं।
लेकिन चिराग के ऐलान पर जीतनराम मांझी ने सख्त टिप्पणी कर दी — बिहार में मुख्यमंत्री पद खाली नहीं है। सीधा संदेश दिया — सीएम तो नीतीश कुमार ही रहेंगे। अगर कोई और सपना देख रहा है। आज ही यानी सोमवार को मांझी दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले और अपनी बात रखी।
तो समझिए, एनडीए के लिए वह शुभ संकेत नहीं है। इस तरह बिहार की राजनीति में सीटों से ज्यादा भरोसे और शक का खेल जारी है! आगे क्या होगा? कौन साथ रहेगा, कौन किनारा करेगा, कहना आसान नहीं दिखता।
