अनुराग गुप्ता के डीजीपी बने रहने पर लगी रोक, केंद्र ने झारखंड सरकार को भेजा पत्र

Ranchi : अब राज्य सरकार की अगली कार्रवाई का सबको इंतजार है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विदेश दौरे से लौटने के बाद इस संवेदनशील मामले में त्वरित निर्णय लिए जाने की संभावना जताई जा रही है। समाचार लिखे जाने तक इस मामले में सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने अपने एक्स हैंडल पर ट्वीट किया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाकर सेवा विस्तार देने के झारखंड सरकार के निर्णय को ग़लत करार दिया है और पत्र भेजकर सरकार से कहा है कि 30 अप्रैल 2025 को DGP की सेवा समाप्त हो जाएगी. अधिकारियों ने यह पत्र विदेश यात्रा पर गए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेज दिया है.

डीजीपी बनने की कहानी: पहली बार 26 जुलाई 2024 को बने थे पुलिस प्रमुख
अनुराग गुप्ता को वर्ष 2022 में डीजी रैंक में प्रमोशन मिला था। इसके बाद 26 जुलाई 2024 को राज्य सरकार ने उन्हें पहली बार डीजीपी नियुक्त किया था। हालांकि, उसी साल विधानसभा चुनावों के दौरान निर्वाचन आयोग के आदेश पर उन्हें हटाना पड़ा। चुनाव परिणामों के तत्काल बाद, 28 नवंबर 2024 को सरकार ने उन्हें फिर से प्रभारी डीजीपी के रूप में बहाल कर दिया था।
नियुक्ति के नियमों में हुआ बदलाव
डीजी रैंक में प्रमोशन के लिए सामान्य प्रक्रिया यह है कि 30 वर्ष की सेवा पूरी करने और सेवानिवृत्ति में कम-से-कम छह माह शेष रहने वाले अधिकारियों के नामों की सूची यूपीएससी को भेजी जाती है। यूपीएससी तीन नामों का पैनल बनाकर राज्य सरकार को देती है, और सरकार उन्हीं में से किसी एक को डीजीपी बनाती है। लेकिन यूपीएससी से मतभेद के चलते झारखंड सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन कर दिया। उत्तर प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक सलेक्शन कमेटी का गठन किया। इसी कमेटी की अनुशंसा पर, 2 फरवरी 2025 से अनुराग गुप्ता को नियमित डीजीपी नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति की अधिसूचना में उल्लेख है कि यह नियुक्ति “महानिदेशक (पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली” के नियम 10(1) के अनुसार है।
कार्यकाल को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं
नियमों के मुताबिक डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। यदि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति 26 जुलाई 2024 से मानी जाए, तो उनका कार्यकाल 26 जुलाई 2026 तक चलेगा। लेकिन यदि नियुक्ति की तिथि 28 नवंबर 2024 मानी जाती है, तो कार्यकाल 28 नवंबर 2026 तक तय होगा। अब इस असमंजस के बीच राज्य सरकार को केंद्र के पत्र के अनुसार अगला कदम उठाना होगा। 1990 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को झारखंड का डीजीपी बनाए रखने के राज्य सरकार के फैसले पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि 30 अप्रैल के बाद गुप्ता को डीजीपी पद पर बनाए रखने का निर्णय नियमों के विरुद्ध है। केंद्र ने निर्देश दिया है कि 30 अप्रैल के बाद उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाए।
अब राज्य सरकार की अगली कार्रवाई का सबको इंतजार है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विदेश दौरे से लौटने के बाद इस संवेदनशील मामले में त्वरित निर्णय लिए जाने की संभावना जताई जा रही है।
डीजीपी बनने की कहानी: पहली बार 26 जुलाई 2024 को बने थे पुलिस प्रमुख
अनुराग गुप्ता को वर्ष 2022 में डीजी रैंक में प्रमोशन मिला था। इसके बाद 26 जुलाई 2024 को राज्य सरकार ने उन्हें पहली बार डीजीपी नियुक्त किया था। हालांकि, उसी साल विधानसभा चुनावों के दौरान निर्वाचन आयोग के आदेश पर उन्हें हटाना पड़ा।
चुनाव परिणामों के तत्काल बाद, 28 नवंबर 2024 को सरकार ने उन्हें फिर से प्रभारी डीजीपी के रूप में बहाल कर दिया था।
नियुक्ति के नियमों में हुआ बदलाव
डीजी रैंक में प्रमोशन के लिए सामान्य प्रक्रिया यह है कि 30 वर्ष की सेवा पूरी करने और सेवानिवृत्ति में कम-से-कम छह माह शेष रहने वाले अधिकारियों के नामों की सूची यूपीएससी को भेजी जाती है।
यूपीएससी तीन नामों का पैनल बनाकर राज्य सरकार को देती है, और सरकार उन्हीं में से किसी एक को डीजीपी बनाती है।
लेकिन यूपीएससी से मतभेद के चलते झारखंड सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन कर दिया। उत्तर प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक सलेक्शन कमेटी का गठन किया।
इसी कमेटी की अनुशंसा पर, 2 फरवरी 2025 से अनुराग गुप्ता को नियमित डीजीपी नियुक्त किया गया था।
उनकी नियुक्ति की अधिसूचना में उल्लेख है कि यह नियुक्ति “महानिदेशक (पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली” के नियम 10(1) के अनुसार है।
कार्यकाल को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं
नियमों के मुताबिक डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। यदि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति 26 जुलाई 2024 से मानी जाए, तो उनका कार्यकाल 26 जुलाई 2026 तक चलेगा।
लेकिन यदि नियुक्ति की तिथि 28 नवंबर 2024 मानी जाती है, तो कार्यकाल 28 नवंबर 2026 तक तय होगा।
अब इस असमंजस के बीच राज्य सरकार को केंद्र के पत्र के अनुसार अगला कदम उठाना होगा।
